जयपुर। ब्रह्माजी के विश्‍व प्रसिद्ध पुष्‍कर मंदिर में नवविवाहित लड़के जाने से डरते हैं. मान्‍यता है कि यदि नवविवाहित लड़के इस मंदिर में आए तो उन्‍हें अपने दांपत्‍य में मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं. इसके पीछे की वजह ब्रह्माजी को उनकी पत्‍नी द्वारा दिया गया एक शाप है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना के लिए राजस्थान के पुष्कर में यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ में उन्हें पत्नी के संग बैठना था, लेकिन उनकी पत्नी सावित्री ने आने में देर होती देख उन्‍होंने नंदिनी गाय के मुख से गायत्री को प्रकट किया और उनसे विवाह कर यज्ञ करने लगे.

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जब सावित्री पहुंचीं तो ब्रह्माजी के बगल में अपनी जगह किसी अन्य स्त्री को यज्ञ में बैठे देख क्रोधित हो गईं और शाप दिया. जिस संसार की रचना करने के लिए आप मुझे भुला बैठे वही संसार आपको नहीं पूजेगा.

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विवाहित पुरुष आपके इस मंदिर में प्रवेश करेगा, उसके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आएंगी. यही वजह है कि इस मंदिर में कुंवारे लड़के-लड़कियां और शादीशुदा महिलाएं तो आती हैं, लेकिन विवाहित व्यक्ति नहीं आते.

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पुष्‍कर के इस मंदिर के पास उनकी पत्‍नी सावित्रीजी का मंदिर अलग एक पहाड़ी पर बना हुआ है. कहा जाता है कि गुस्‍सा शांत होने पर ब्रह्माजी की पत्नी सावित्री पुष्‍कर के पास पहाड़ियों पर जाकर तपस्या में लीन हो गईं और फिर वहीं की होकर रह गईं. इस मंदिर में महिलाएं प्रसाद के तौर पर मेहंदी, बिंदी और चूड़ियां जैसी श्रृंगार सामग्री चढ़ाती हैं और अपनी पति की लंबी उम्र की दुआ मांगती हैं.