फीचर स्टोरी: विकास…बदलाव और आस. हर किसी के जुबां पर होती है, लेकिन कुछ गलतियां, कुछ खामियां इससे हमको बेदखल कर देती हैं. वे ख्वाब दिमाग में ख्वाब बनकर ही घर कर जाते हैं, लेकिन जब वही सपने हकीकत में संवरने लगे, तो हर जख्म विकास की खुशियों तले मरहम में बदल जाते हैं. हम आज आपको ऐसे ही एक गांव में हुए विकास की कहानी बताने जा रहे हैं, जहां के लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखरने लगी है. उगते सूरज की तरह भूपेश सरकार की किरणें उनके आंगन को रोशन कर रही हैं. कुछ साल पहले तक यहां नक्सलवाद की लाल आंखें विकास पर काली परछाईं बनकर तरेरती थीं, जिसे जांबाज जवानों ने शांति और खुशहाली में तब्दील कर दिया है.

पुंदाग में कैसे बह रही विकास की बयार

ये विकास की इबारत से सपने को हकीकत में बुनने वाली कहानी पुंदाग गांव की है. पुंदाग गांव आज भूपेश सरकार की योजनाओं से खुशहाली की ओर कदम बढ़ा रहा है. यहां के लोगों को रोजगार, घरों में बिजली, गांव में गौठान और उनको जिले से जोड़ने के लिए चमचमाती सड़क का तोहफा मिला है. ये सड़क मन में आए ख्वाबों को गांव से निकालकर शहरों में सच तरास कर देगी.

कहां है नक्सल मुक्त पुंदाग गांव ?

राजधानी रायपुर से करीब 500 किलो मीटर और बलरामपुर जिला से करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. गांव की आबादी करीब 2200 है. इस गांव की जिला मुख्यालय बलरामपुर से कनेक्टिविटी आजादी के 75 साल बाद भी नहीं हो पाई थी. इलाका इतना दुर्गम था कि यहां मतदान दलों को भी हेलीकॉप्टर से जाना पड़ता था, लेकिन अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर सड़क बनाने का काम शुरू हुआ है, जो यहां के लोगों के लिए सपने सच होने जैसा है.

हमारे बच्चों का संवरेगा भविष्य- अमावस

पुंदाग गांव के पहाड़ी कोरवा जनजाति के अमावस बताते हैं कि मेरी उम्र करीब 40 साल है, लेकिन मैं अब तक जिला मुख्यालय बलरामपुर नहीं गया हूं. कारण पूछने पर कहते हैं कि यहां से बलरामपुर जाने के लिए सड़क ही नहीं थी. हमारे गांव के लोग काम पड़ने पर झारखंड के रास्ते छत्तीसगढ़ आना-जाना करते थे. कभी कोई बीमार पड़ता था तो बड़ी परेशानी होती थी. वे कहते हैं कि सड़क बन जाने से हमारे बच्चों को बड़ा फायदा होगा, वे उच्च शिक्षा के लिए गांव से बाहर जा पाएंगे.

अति नक्सल प्रभावित इलाके में विकास की बयार

पुंदाग जाने के लिए घने जंगल और कई घाट पड़ते हैं. दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां सड़क बनाना आसान नहीं था. बीच रास्ते में कई सारी चट्टानें और नाले बड़ी बाधा थे. इसके साथ ही ये इलाका अति नक्सल प्रभावित था. इस गांव के तुरंत बाद झारखंड सीमा पर बूढ़ा पहाड़ इलाका है, जिसे नक्सलियों का गढ़ माना जाता था.

पुलिस ने इलाके से नक्सलियों को खदेड़ा

राज्य बनने के बाद से इस इलाके में करीब 435 नक्सल घटनाए हुईं थीं, लेकिन विगत 4 वर्षों की बात करें तो मात्र 4 छुटपुट घटनाएं हुईं हैं. साथ ही एक भी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है. पुलिस ने इस क्षेत्र से नक्सलियों को खदेड़ दिया है.

नक्सलवाद के खात्मे के लिए जवानों की तैनाती

पुंदाग गांव पर नक्सलवाद की लाल आंखें काली परछाईं बनकर तरेर रहीं थी, लेकिन अब जवानों की तैनाती ने उस इलाके में शांति का सवेरा किया है. इस इलाके में नक्सली घटनाओं के कारण क्षेत्र में विकास कार्यों की गति पर ब्रेक लग गई थी, लेकिन पिछले 4 साल में यहां 24 किलोमीटर में 4 कैंप स्थापित किए गए हैं. ये कैंप सबाग, बंदरचुआ, भुताही और पुदांग में लगाए गए हैं.

इन कैंप को खोलने में राज्य सरकार ने पूरी सहायता उपलब्ध कराई है. यहां पर जवानों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कई बोर कराए गए हैं. कैंप खुलने का नतीजा ये हुआ कि यहां नक्सली घटनाएं एकदम शून्य की ओर हैं. इलाके में विकास कार्य तेजी से शुरू हो गया है.

विकास से जोड़ने ग्रामीणों को मिल रहीं सुविधाएं

बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के. बताते हैं कि इस गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य योजनाएं पहुंचाने के लिए सबसे जरूरी था कि सबसे पहले सड़क बनाई जाए. जिला प्रशासन ने दुर्गम परिस्थितियों के बावजूद बंदरचुआ से भुताही तक करीब 6 किलोमीटर सड़क बना दी है. भुताही से पुंदाग तक सड़क निर्माण का काम तेजी से चल रहा है.

इसके साथ ही भुताही में मोबाइल टॉवर और ट्रांसफॉर्मर लग गए हैं, जिस इलाके में फोन पर बात करना मुश्किल था, वहां मोबाइल टावर लगने से ग्रामीण 4G सेवा का उपयोग कर रहे हैं. पुंदाग गांव में इसी माह सब हेल्थ सेंटर भी शुरू होने जा रहा है. स्कूल भवन का रिनोवेशन किया जा रहा है.

गांव में खुलेगा राशन दुकान और धान खरीदी केंद्र

अंतिम छोर में बसे इस गांव के लोग सड़क ना होने से अब तक राशन लेने के लिए भुताही तक आते थे, लेकिन जिला प्रशासन सड़क बनने के बाद इस गांव में राशन पहुंचाना शुरू कर देगा. यहां के किसान सड़क न होने की वजह से सामरी धान खरीदी केंद्र में धान बेचने जाते थे, लेकिन अब यहां धान खरीदी केंद्र खोलने का प्रस्ताव भी भेज दिया गया है. पुंदाग गांव में अब तक सोलर लाइट से ही काम चलता है. सड़क बनते ही यहां बिजली के खंभे लगाने का काम शुरू होने वाला है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बन रहा गौठान

पुंदाग गांव में अधिकांश ग्रामीण किसान और पशुपालक हैं. जिला प्रशासन ने यहां गौठान निर्माण का काम शुरु कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि गौठान शुरू होने से उनकी आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी. गोबर और गोमूत्र बेचकर उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक होगी.

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus