दंतेवाड़ा। कटेकल्याण स्थित बालिका आश्रम गाटम में कक्षा दूसरी में पढ़ने वाली छात्रा की मौत से एक बार फिर आश्रम की व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. आश्रम में अध्ययनरत कक्षा दूसरी की छात्रा सरिता मरकाम की इलाज के दौरान जगदलपुर के मेकाज में मौत हो गई.

मिली जानकारी के मुताबिक सरिता की तबियत 9 अक्टूबर को आश्रमशाला में बिगड़ी थी जिसे पास के ही उपस्वास्थ्यकेंद्र गाटम में इलाज कराने ले गए थे। जहाँ बच्ची ठीक हो गयी। फिर तबियत 10 अक्टूबर को सरिता की खराब होती है और उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कटेकल्याण ले जाया गया था। बच्ची का मलेरिया परीक्षण कर उसे वापस दवाई के सहारे आश्रम में ले आया जाता है। आश्रम वार्डन के मुताबिक बच्ची यहाँ दवाईयों से स्वस्थ रही। लेकिन 10 अक्टूबर को ही फिर तबियत बिगड़ी इस बार सरिता की हालत खराब देखते हुए दन्तेवाड़ा फिर जगदलपुर के मेकाज में रेफर किया गया. जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.

इधर मृत बच्ची के चाचा अंशु मंडावी ने आरोप लगाया है कि आश्रम प्रबंधन ने बच्ची की तबियत की जानकारी परिवार वालों को देर से दी गई जबकि आश्रम से गांव की दूरी महज 4 किलोमीटर ही है.

बीमारी पर रहस्य

मृतक बच्ची सरिता के परिवार वालो ने क्षेत्रीय गोंडी भाषा मे बताया कि बच्ची की मौत आखिर किस बीमारी से हुई। ये तक कोई हम लोगों को नही बताया। नही बच्ची के मौत के बाद कोई अधिकारी मिलने नही आया।

इधर जिला पंचायत सदस्य भीमसेन मंडावी ने साफतौर पर आश्रम की लापरवाही बताते हुए कहा कि वक्त पर इलाज नहीं किया गया। अगर समय पर इलाज़ होता तो बच्ची की मौत नही होती।

प्रेत बाधा से हुई मौत

उधर शिक्षा विभाग के मंडल संयोजक गनपत पटेल ने बेहद ही लापरवाही पूर्वक जवाब दिया उन्होंने कहा कि इलाज़ करवाया गया पर डॉक्टर भी बीमारी नही पकड़ पा रहे थे। कोई भूत प्रेत बाधा का चक्कर लगता है