जशपुर। जशपुर जिले में शिक्षा का आलम क्या है यह आप भलीभांति जानते ही होंगे, कभी यहां बच्चों को दी जाने वाली किताबों को कबाड़ी में बेचने का गोरखधंधा का मामला सामने आता है तो कभी किताबों को जलाने का. ताजा मामला स्वच्छता अभियान की आड़ में मासूम छात्रों के हाथ में कलम की जगह  कुदाली और फावड़ा पकड़ाकर मजदूरी कराने का है.

बाल मजदूरी रोकने के लिए सरकार ने कई कठोर कानून बनाया है, कहीं कोई संस्थान हो या घर हो बच्चों से मेहनत-मजदूरी कराने पर हवालात की सैर करनी पड़ जाती है लेकिन यह क्या छत्तीसगढ़ के जशपुर में तो शासकीय स्कूलों में ही उन मासूमों से बाल मजदूरी कराई जा रही है, जिनके हाथ ठीक से अपने बस्तों का बोझ भी नहीं उठा पाते हैं.

स्कूल प्रशासन की निर्दयता ऐसी कि इन मासूम हाथों में उन्होंने भारी भरकम फावड़ा और कुदाली पकड़ा दी और आदेश दिया स्कूल के झाड़ी और घास साफ करने का. कुछ तो ऐसे थे जिन्हें ठीक से पकड़ना भी नहीं आ रहा था लेकिन शिक्षक उन्हें फावड़ा पकड़ना सिखा रहे थे और कैसे मजदूरी उन्हें करनी है यह भी बता रहे थे. लिहाजा मासूम करते भी क्या गुरु का आदेश जो मिला था. सो गिरते पड़ते इन्होंने जैसे-तैसे साफ-सफाई किया.

शायद देश और प्रदेश के इन भविष्यों को यहां का शिक्षा विभाग वैज्ञानिक, डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बल्कि मजदूर ही बनाना चाहता है, इस वजह से इनके हाथों से कापी पुस्तक और कलम लेकर इन्हें फावड़ा-कुदाली पकड़ा दिया गया. ये मामला था बगीचा के लोटा प्राथमिक शाला का.

बच्चों से पढ़ाई के बदले बेगारी कराने केा सवाल के जवाब में शिक्षा विभाग के अधिकारियों का बयान भी चौंकाने वाला है. इस बारे में लल्लूराम डॉट कॉम के संवाददाता ने जब बगीचा के बीईओ मुक्तेश्वर दीप से बात की तो अधिकारी की बेशर्मी देखिए उन्होंने बाल मजदूरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने से जोड़ दिया, महोदय का कहना है कि बच्चों में स्वच्छता का भाव पैदा किया जा रहा है ताकि प्रधानमंत्री के सपने सच हो सकें. यही नहीं बेशर्मी की इंतेहा तो देखिए साहब कहते हैं कि बच्चों के हाथ में फावड़ा थमाने के पीछे उनमें ऊर्जा पैदा करने का उद्देश्य है ताकि बच्चे ऊर्जावान और ताकतवर हो.

आपको बता दें कि विगत कुछ माह से शिक्षा विभाग ऐसे कारनामों के लिए लगातार सुर्ख़ियों में रहा है. अभी कुछ दिन पहले स्कूल के बच्चों को बांटे जाने वाले सरकारी पुस्तकों को कबाड़खाने में बेचे जाने का मामला अभी भी जांच के दायरे में है और विभाग इस मामले में अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है. इस घटना के बाद सरकारी पुस्तकों में आग लगाये जाने का भी मामला सामने आया था.

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