प्रदीप गुप्ता, पंडरिया। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की स्थिति संवारने के लिए सरकार स्कूल से लेकर नौकरी तक आरक्षण से लेकर स्कालरशिप और मुफ्त शिक्षा उपलब्ध तो करा ही रही है साथ ही स्वरोजगार के लिए कई योजनाएं भी चला रही है. सरकार की ऐसी ही योजना से लाभान्वित एक युवक के ऊपर आज पूरा गांव निर्भर हो गया है.
हम बात कर रहे हैं कवर्धा जिले के पंडरिया स्थित ग्राम लोखान के चंद्रसेन कुर्रे की. अनुसूचित जाति वर्ग के चंद्रसेन कुर्रे ने 12 वीं तक की पढ़ने के बाद पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. पढ़ाई छोड़ने के कुछ साल बाद जब वह नौकरी की तलाश करने लगा तो कम पढ़ा-लिखा होने की वजह से उसे नौकरी नहीं मिल पाई. जिसके बाद उसने पिता व भाई के साथ मिलकर उनके खेती किसानी में हाथ बंटाने लगा.
परिवार के पास महज 5 एकड़ ही खेत है. कृषि कार्य के लिए उसे किराए पर ट्रेक्टर लेना पड़ता था लेकिन कई बार समय से ट्रेक्टर नहीं मिलने से जुताई-बुआई का कार्य प्रभावित होने लगता था. जैसे-तैसे जुताई-बुआई हो भी जाती तो फसल के परिवहन में परेशानियों का सामना करना पड़ता था. समय पर फसल मंडी नहीं पहुंचने से जो दाम मिलना चाहिए था कई बार वह भी नहीं मिल पाता था.
इधर उसे अखबार के माध्यम से अनुसूचित जाति वर्ग के लिए अंत्यावसायी विभाग की योजनाओं की जानकारी मिली. चंद्रसेन अंत्यावसायी विभाग जा कर सारी योजनाओं की जानकारी लिया. अनुसूचित जाति/जनजाति विभाग के लिए जो योजनाएं संचालित की जा रही थी उनमें एक योजना ट्रेक्टर ट्राली योजना भी शामिल है. चंद्रसेन ने योजना के अनुसार ट्रेक्टर ट्राली के लिए आवेदन कर दिया. जिसके तहत उसे 2017 में ट्रेक्टर ट्राली के लिए 8 लाख 40 हजार का लोन स्वीकृत हो गया.
लोन स्वीकृत होने के बाद उसने ट्रेक्टर ट्राली खरीद ली और अपने 5 एकड़ खेत में वह साल में 2 फसल लेना लगा जिसमें धान के अलावा, चना और गन्ना का फसल शामिल है. इन फसलों को बेचकर अब उसे सलाना 3 लाख से ज्यादा की आमदनी होने लगी. इसके अलावा अब वह खुद के खेत में ट्रेक्टर से जुताई-बुआई करने के अलावा अब दूसरों के खेतों में जुताई-बुआई के लिए ट्रेक्टर को किराए पर देने लगा. इसके अलावा अन्य कार्यों के लिए भी लोग उससे ट्रेक्टर किराए पर लेते हैं.
इस तरह उसे ट्रेक्टर से अतिरिक्त आय भी होने लगी. इस तरह अब किराए से प्राप्त होने वाली आय से वह ट्रेक्टर की हर महीने आसानी से किश्त भी पटा लेता है इसके साथ ही 10 हजार रुपए प्रतिमाह की औसत बचत भी कर लेता है. चंद्रसेन कुर्रे का कहना है कि अब वह नौकरी पेशा लोगों से ज्यादा कमा लेता है. उसने इसके लिए कलेक्टर और सरकार को धन्यवाद दिया है.