विधि अग्निहोत्री, रायपुर/ नारायणपुर। अबूझमाड़ नाम सुनते ही दिमाग में घने जंगलों में रहने वाले आदिवासियों की छवि उभर कर आती है. अब तक अबूझमाड़ के आदिवासी विकास से कोसों दूर थे और इन्हे विकास की मुख्य धारा से जोड़ना सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनकी मानसिकता में काफी फर्क आया है वे भी अब विकास के रास्ते पर चलकर आर्थिक रूप से मज़बूत होना चाहते हैं. युवा अबूझमाड़ी अब सिर्फ खेती पर निर्भर नहीं रहना चाहते वे अब स्वरोजगार के माध्यम से विकास की मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं.

ऐसी ही एक कहानी नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ ब्लाक के मुख्यालय ओरछा की है. यहां 20 स्थानीय युवक-युवतियों ने स्वरोजगार करने के लिए ओरछा युवा सहकारी समिति का गठन किया और आत्मनर्भरता की ओर अग्रसर हुए. इन युवाओं ने मिलकर “ओरछा मार्ट” का संचालन किया. शरूआत में लोग इसे एक आम किराना दुकान ही समझते थे. लेकिन युवाओं के इस ओरछा मार्ट में सुई से लेकर सीमेंट और छड़ सभी तरह के सामान उपलब्ध हैं. पहले इलाके के ग्रामीणों को छोटे-छोटे सामान के लिए भी 67 किलोमीटर दूर आना जाना पड़ता था. इससे ग्रामीणों का समय और पैसा दोनों ही ज्यादा लगता था. जब से युवाओं ने ओरछा मार्ट खोला तब से ग्रामीणों के पैसे और समय दोनों की ही बचत होती है. अब एक ही छत के नीचे सभी सामान मिल जाने से ग्रामीण काफी खुश हैं और इन युवाओं के काम को सराह रहे हैं.

अबूझमाड़ के ये युवा घने जंगलों से आते हैं और ज्यादा पढ़े लिखे भी नहीं थे इसलिए कहीं रोजगार भी नहीं मिल पा रहा था. लेकिन स्वरोजगार की इच्छा शुरू से ही थी. ग्राम सभा के दौरान इन्हें लाइवलीहुड कॉलेज के बारे में पता चला. यहाँ युवाओं को उनकी दिलचस्पी के अनुसार प्रशिक्षित किया जाता है. इन आदिवासी युवाओं ने भी लाइवलीहुड कॉलेज नारायणपुर से स्वरोजगार का प्रशिक्षण लिया. यहाँ उन्हे क्रय-विक्रय, विपणन संबंधी प्रबंधन और लेखा संधारण आदि का 3 महिने तक प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद इन युवाओं ने बैंक ऋण की सहायता से ओरछा भंडार खोला, यहाँ एक ही स्थान पर पूरे इलाके के लोगों की सुविधा को ध्यान में रखकर खाद्य सामग्री सहित अन्य जरूरी सामान कम दाम में उपलब्ध है. ओरछा मार्ट से अबूझमाड़ में संचालित आश्रम-छात्रावास के बच्चों के लिए खाद्य सामग्री, कपड़े सहित अन्य आवश्यक चीजें सुलभ हो रही है.

वहीं आश्रम-छात्रावासों के द्वारा ओरछा मार्ट को सीधे भुगतान करने के फलस्वरूप इस ओरछा युवा सहकारी समिति को सामग्री की सुलभता में आसानी हो रही है. ओरछा मार्ट संचालित करने वाले युवा सहकारी समिति के सदस्य महेश कोर्राम और हरिका कतलम ने बताया कि अब ग्रामीणों ने अपने ज़रूरी सामान के लिए नारायणपुर जाना बंद कर दिया है. वहीं समिति के सदस्य लखमूराम और कारी उसेंडी ने बताया कि समिति से जुड़े युवक-युवतियों के बीच पूरे एक सप्ताह के काम का बंटवारा बैठक के दौरान कर लिया जाता है. जिससे वे अपने घर का काम भी आसानी से कर लेते हैं. समिति अध्यक्ष ने बताया कि ओरछा मार्ट से अभी हर माह करीब 1 लाख की आमदनी हो रही है जिसमें प्रत्येक सदस्य को बचत और पारिश्रमिक के अनुसार समान अनुपात में बंटवारा कर किया जाता है. हर सदस्य की बचत राशि के फलस्वरूप उनके सहकारी समिति के ऋण राशि की अदायगी के साथ ही बचत राशि में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी हो रही है. इन युवक-युवतियों ने अपने स्वरोजगार से आगे बढ़ना सीख लिया है. अब स्थानीय स्तर पर गौ-पालन कर डेयरी खोलने का विचार कर रहे हैं.