यादवेन्द्र सिंह, खरगोन। मध्यप्रदेश में सरकारी दावे के विपरीत खाद की किल्लत बनी हुई है। खाद लेने के लिए किसानों में मारा-मारी मची हुई है। वहीं खाद गोदाम में पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं होने से लोगों में पहले पहुंचने और खाद लेने के लिए कड़ाके की ठंड में लाइन लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। किसान सारे कामधंधे छोड़ खाद लेने गोदाम पहुंचते हैं, वहीं सैकड़ों किसान ऐसे हैं जो लाइन में स्कूल और कॉलेज में पढऩे वाली बच्चियों को भेज रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां बच्चियां स्कूल-कॉलेज छोड़ खाद लेने सुबह से लाइन में लगीं हुई नजर आ रही हैं।
जानकारी के अनुसार एमपी के खरगोन जिले में खाद के लिए किसान परेशान हैं। गांवों में सहकारी समितियों में खाद का स्टॉक नहीं है। वहीं शहरों में वेयरहाउस के माध्यम से खाद वितरित किए जा रहे हैं। वहां भी खाद की सप्लाई कब होती है और स्टॉक कब खत्म हो जाता है किसानों को भी पता नहीं चलता है। खाद की किल्लत के चलते किसाने स्कूल-कॉलेज में पढऩे वाली बच्चियों को लाइन में लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। बच्चियों के साथ-साथ महिलाएं भी खाद खरीदने बड़ी संख्या में लाइन में लगे दिख रही है।
बच्चियों सहित महिला के खाद केंद्र पहुंचने के कारण वहां पर महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइन की व्यवस्था की गई। इसी तरह अल सुबह से पावती एवं आधार कार्ड की फोटो कापी को पत्थर के नीचे रखकर भी किसान अपना नंबर लगाते हैं। किसानों का आरोप है कि सहकारी समितियों और वेयरहाउस में मांग के अनुरूप खाद नहीं दे रहे हैं। खाद की किल्लत नहीं होने के सरकार के दावे को किसान गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार के दावे झूठे है। खुले बाजार में ब्लैक में खाद आसानी से महंगे दाम पर उपलब्ध है। वहीं सरकारी दर पर सरकारी संस्थाओं से खाद लेने में किसानों का पसीना निकल रहा है।
खरगोन वेयर हाउस के क्षेत्रीय शाखा प्रबंधक विजय कछवाये ने बताया कि डिमांड अनुसार साढ़े पांच सौ टन खाद की मांग भेजी थी। तीन सौ टन खाद आया हैं। कैसे बांटे खाद, समझ में नहीं आ रहा है।
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