अजय सूर्यवंशी, जशपुर। जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग की उदासीनता और लापरवाही के कारण घायल बच्चों का उपचार घटना के 3 दिन बाद भी शुरू नहीं हुआ था. सभी बच्चे जहरीले पौधे की चपेट में आने से जख्मी हुए हैं. भेलवा के दूध से बच्चों के शरीर में बड़े-बड़े फोड़े हो गए हैं, लेकिन रंगपुर पहाड़ी कोरवा बालक आश्रम के अधीक्षक ने इसकी कोई परवाह नहीं की थी. इससे कलेक्टर रितेश कुमार अग्रवाल ने निलंबित कर दिया है.

दरअअसल,  पहाड़ी कोरवा बालक आश्रम रंगपुर के 7 बच्चे जंगल की जहरीली वनस्पति के दुष्प्रभाव के जद में आ गए थे, जिसके बाद LALLURAM.COM ने खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. अब लापरवाही बरतने वाले पहाड़ी कोरवा बालक आश्रम रंगपुर के अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई हुई है. कलेक्टर ने निलंबन और इंक्रीमेंट रोकने का आदेश दिया है.

आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास और आश्रम स्कूलों में कड़ी देखरेख और सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम की पोल खुल गई है. लापरवाही के कारण छात्रावास के 7 बच्चे जख्मी हो गए हैं. इन बच्चों पर जंगल की जहरीली वनस्पति का दुष्प्रभाव पड़ा है, जिससे बच्चों के हाथ जलकर गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं.

छात्रावास अधीक्षक के लगातार नदारद रहने की वजह से घायल बच्चों का इलाज घटना के 3 दिनों बाद भी शुरू नहीं हो सका, जिससे सहायक आयुक्त सहित आदिवासी विकास विभाग के आला अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठना अब शुरू हो गया है.

बता दें कि बगीचा विकास खंड में 50 नन्हे बच्चों के इस आश्रम स्कूल में अधीक्षक की अनुपस्थिति के दौरान भृत्य द्वारा ही देखरेख की जाती है. यहां लगातार अधीक्षक के छात्रावास से बाहर रहने की शिकायतें उजागर होती रही हैं, लेकिन विभागीय उदासीनता बरकरार है. छात्रावास अधीक्षक का हौंसला और भी बढ़ गया है. उपचार के लिए परिजनों को सूचना भेजा गया है.

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