नई दिल्ली . दिल्ली सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के लिए बजट में धन मुहैया कराने का प्रावधान किया है और केंद्र से इसकी मंजूरी मिलने का इंतजार है. दिल्ली सरकार की इस दलील को अदालत की रिकॉर्ड पर दर्ज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को सात दिन में धन स्थानांतरित करने का निर्देश दिया.

साथ ही शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार को आरआरटीएस परियोजना के लिए धन आवंटन से संबंधित समय सीमा का पालन करने का सख्त निर्देश दिया. जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई शुरू होते ही वरिष्ठ अधिवक्ता एस. मुरलीधर ने कहा कि आरआरटीएस के दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत रूट को अभी भारत सरकार से मंजूरी मिलना बाकी है.

वरिष्ठ अधिवक्ता मुरलीधर ने पीठ से कहा कि जैसे ही भारत सरकार इस परियोजना को मंजूरी देगी, हम ( दिल्ली सरकार) धन जारी कर देंगे. दिल्ली सरकार की इस दलील पर मामले में नियुक्त न्याय मित्र अपराजिता सिंह ने पीठ से कहा कि दिल्ली सरकार ने हलफनामा दिया है और इसमें धन भुगतान के लिए बताई गई समय-सारणी का पालन करने के लिए वह बाध्य है. इस पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ से कहा कि परियोजना को मंजूरी देने में कोई परेशानी नहीं है.

इसके बाद पीठ ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि दिल्ली सरकार ने परियोजना के लिए बजट में धन का प्रावधान किया है और अटार्नी जनरल का कहना है कि परियोजना को मंजूरी देने में कोई परेशानी नहीं है. लिहाजा दिल्ली सरकार को धन मुहैया कराने के लिए सात दिन का समय दिया जा रहा है. आदेश के बावजूद परियोजना के लिए धन नहीं दिए जाने के खिलाफ एनसीआरटीसी द्वारा दाखिल अर्जी पर शीर्ष अदालत विचार कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नाराजगी जताई थी

पिछली सुनवाई 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना के लिए पूरा धन मुहैया नहीं कराने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस परियोजना के लिए धन मुहैया कराने के आदेश का आंशिक रूप से पालन किए जाने का कोई औचित्य नहीं है, इसका पूर्ण रूप से पालन किया जाना चाहिए. पीठ ने यह टिप्पणी तब की थी, जब दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसने 415 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है.