नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार द्वारा दरवाजे पर खाद्यान्न आपूर्ति करने की योजना पर दिल्ली उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 27 सितंबर को राशन योजना की डोरस्टेप डिलीवरी के क्रियान्वयन का रास्ता साफ कर दिया था, जिसके खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह अपनी डोर-टू-डोर राशन वितरण योजना को तब तक लागू नहीं करेगी, जब तक कि दिल्ली उच्च न्यायालय 22 नवंबर को योजना की वैधता के खिलाफ वहां लंबित मुख्य याचिका पर विचार नहीं करता.

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दिल्ली सरकार ने यह भी रिकॉर्ड किया कि उसकी योजना ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना के साथ पूरी तरह से संगत है. जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति बीआर गवई ने दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा, “क्या आपने योजना (राशन की डोरस्टेप डिलीवरी) को लागू करना शुरू कर दिया है?” सिंघवी ने कहा कि 90 प्रतिशत नागरिकों ने इस योजना के लिए आवेदन किया है, 72 लाख में से 69 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया है. उन्होंने कहा कि इन दिनों अमेजन होम डिलीवरी कर रहा है, घर पर खाना पहुंचाया जा रहा है और शराब भी, इसलिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत गरीब लोगों के दरवाजे पर अनाज पहुंचाने में कुछ भी गलत नहीं है.