रायपुर- राज्य में निर्मित तीन हजार से ज्यादा विभिन्न लघु सिंचाई योजनाओं की पूर्ण क्षमता के उपयोग के लिए चरणबद्ध सघन सर्वेक्षण का समयबद्ध विशेष अभियान चलाया जाएगा। इनमें 1698 लघु सिंचाई बांध, 766 एनीकट और स्टाप डेम तथा 585 व्यपवर्तन योजनाएं शामिल हैं। अभियान के तहत नहरों और बैराजों का भी सर्वेक्षण किया जाएगा। इन सभी योजनाओं से सर्वेक्षण के बाद व्यापक कार्ययोजना तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जल संसाधन विभाग को वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा को ध्यान में रखते हुए सिंचाई योजनाओं का सर्वेक्षण के निर्देश दिए है। कृषि और जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इस सिलसिले में विभागीय अधिकारियों को सर्वेक्षण कार्य तत्परता से संचालित करने और समय पर पूर्ण करने के लिए कहा है।
जल संसाधन विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि उन्होंने इस विषय में विभाग के प्रमुख अभियंता सहित समस्त मुख्य अभियंताओं, अधीक्षण अभियंताओं और कार्यपालन अभियंताओं को चिट्ठी लिखी है। बोरा ने चरणबद्ध अभियान के लिए पत्र में उन्हें लघु सिंचाई योजनाओं और एनीकटों के सर्वेक्षण के लिए प्रदेशभर में विभाग के समस्त सहायक अभियंताओं और उप अभियंताओं की टीम गठित करने तथा विभाग के सर्वे मोबाइल एप्प के जरिए सर्वेक्षण कार्य करवाने के निर्देश दिए है। उन्होंने पत्र में कहा है कि इसके लिए चार संभागीय मुख्यालयों- रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर और अम्बिकापुर में दो पालियों में कम से कम दो दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाए। प्रथम चरण में उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए 15 अभियंताओं को मास्टर ट्रेनरों की नियुक्ति करते हुए उनका प्रशिक्षण अप्रैल में किया जा चुका है। अब दूसरे चरण में कल एक मई से 10 मई तक इन मास्टर ट्रेनरों द्वारा सर्वेक्षण कार्य के लिए सहायक और उप अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
सोनमणि बोरा ने पत्र में लिखा है कि प्रशिक्षण में इन सहायक और उप अभियंताओं को संबंधित सिंचाई योजनाओं का फोटो लेने और विभागीय मोबाइल एप्प में अपलोड करने, बांधों, नहरों और एनीकटों की भौतिक स्थिति, विगत पांच वर्ष की सिंचाई के आंकड़े, सिंचाई जल द्वारों की स्थिति भू-जल स्तर में वृद्धि आदि के तथ्यात्माक ब्यौरे निर्धारित प्रपत्र में भरने की ट्रेनिंग दी जाएगी। दूसरे चरण में प्रशिक्षित अभियंता तीसरे चरण में 14 मई से 26 मई तक मौके पर पहुंचकर सिंचाई परियोजनाओं के पांच-पांच फोटो खींचकर जल संसाधन विभाग के सर्वे एप्प में जिओ टैग में अपलोड करेंगे और सर्वेक्षित योजनाओं की जानकारी अपने कार्यपालन अभियंता, अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंता के माध्यम से प्रमुख्य अभियंता को भेजेंगे। चौथे चरण में 14 मई से 31 मई तक इन योजनाओं की ग्रेडिंग प्रमुख अभियंता कार्यालय में की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक योजना की सर्वेक्षण रिपोर्ट का परिक्षण किया जाएगा। प्रमुख अभियंता की अध्यक्षता में गठित कोर टीम के अधिकारी इन योजनाओं की ग्रेडिंग करेंगे। कोर टीम में मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता और कार्यपालन अभियंता स्तर के अधिकारी शामिल रहेंगे।
बोरा ने पत्र में लिखा है कि ग्रेडिंग मेें जिन योजनाओं की वास्तविक सिंचाई क्षमता 80 प्रतिशत से ज्यादा है, उन्हें ए-ग्रेड दिया जाएगा, जिनकी क्षमता 60 प्रतिशत से 80 प्रतिशत के बीच है, उन्हें बी-ग्रेड, 60 प्रतिशत से 40 प्रतिशत सिंचाई क्षमता वाली योजनाओं को सी-ग्रेड और 40 प्रतिशत से शून्य प्रतिशत सिंचाई क्षमता वाली योजनाओं की डी-ग्रेड दिया जाएगा। इसके आधार पर आवश्यकता अनुसार मरम्मत अथवा जीर्णोद्धार के कार्य प्राथमिकता के अनुरूप कम लागत में करवाएं जाएंगे और सिंचाई क्षमता को बढ़ाया जाएगा। डी-ग्रेड वाली संरचनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। अभियान के पांचवें चरण में मई-जून 2018 में कार्यपालन अभियंताओं द्वारा इन योजनाओं की मरम्मत अथवा नवीनीकरण आदि से संबंधित कार्यों की तकनीकी स्वीकृति प्राप्त की जाएगी। विभागीय मद, मनरेगा, बी.आर.जी.एफ., जिला खनिज न्यास निधि आदि मदों से और जन सहयोग से भी मरम्मत आदि के कार्य करवाएं जाएंगे। इन सभी कार्यों की मॉनिटरिंग जल संसाधन विभाग के मंडल स्तर कार्योलयों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाएगी। कार्यपालन अभियंता और अधीक्षण अभियंता सर्वेक्षण कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्वयं आकस्मिक निरीक्षण भी करेंगे।