रायपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अकबर ने मांग की है कि सरकार तेंदूपत्ता से आय और संग्राहको को किये गये भुगतान के आंकड़े जारी करें. अकबर ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि अकबर ने कहा कि तिहार मनाने से पहले मुख्यमंत्री को बोनस शब्द का अर्थ पता कर लेना चाहिए था. बोनस का अर्थ है अधिकार के नियमित राशि के अतिरिक्त भुगतान. तेन्दूपत्ता बोनस तिहार में 15 लाख तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को 275 करोड़ रुपयें का बोनस वितरण किया जा रहा है. यह बोनस वर्ष 2016 सीजन में संग्रहित तेन्दूपत्ते का है. इस बोनस की सच्चाई यह है कि पूरे राज्य में 2016 में 13 लाख 61 हजार मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण हुआ था.

उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता बोनस तिहार मनाया जा रहा है. जिसके लिए बड़े पैमाने पर सरकारी राशि प्रचार पर खर्च की गई. सरकारी दावे के विपरित तेंदूपत्ता बोनस के तिहार छत्तीसगढ़ के मेहनकश तेंदूपत्ता संग्राहकों के साथ एक बड़ा छल हैं. जिसमें सग्रहकों का हक मारा गया है. तेंन्दूपत्ता संग्रहण के पहले ही इसका अग्रिंम टेंडर पद्धति से विक्रय करने से 639 करोड़ रुपयों में बिका, इस हिसाब से एक मानक बोरा का औसत विक्रय मूल्य 4693 रुपया था.

लेकिन राज्य सरकार ने तेन्दूपत्ता संग्राहक 15 लाख आदिवासी और वनवासी परिवारों के साथ छल करते हुए उन्हें प्रतिमानक बोरा पर मात्र 1500 रुपये की दर से कुल 204 करोड़ 21 लाख रुपयों का ही भुगतान किया था. इस प्रकार मई-जून की कड़ी दोपहरी में पसीना बहाकर जंगलो में घूम-घूमकर एकत्रित किये गये तेन्दूपत्ते के विक्रय से प्राप्त राशि में से 434 करोड़ 68 लाख रुपयें को रोक कर, उसे बैकों में जमा करा दिया गया था. आज 18 महीने के बाद अवैधानिक रुप से रोकी गइ्र्र राशि में से मात्र 275 करोड़ रुपयें को बोनस बतौर बांटा जा रहा है और इसे बोनस तिहार की संज्ञा दी जा रही है. ये कैसा बोनस हुआ, डाॅ रमन पहले यह बताएं की बाकी का 160 करोड़ और 435 करोड़ पर 18 महीनें का ब्याज लगभग 59 करोड़ रुपयें का क्या हुआ ? रमन सिंह बगैर देरी किए एक-एक पाई का हिसाब हमारें आदिवासी भाईयों और बहनों को और प्रदेश की जनता को दें.