रायपुर। आदिवासी अंचलों में खाएं जाने वाला पैरा फुटु (मशरूम) बेहतरीन स्वाद की बदौलत फाइव स्टार होटलों में लजीज व्यंजनों के रूप में परोसा जाता है। प्रोटीन का बढ़िया स्रोत यह व्यंजन अब आमजनों में तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। पहले पैरा फुटु केवल बरसात के मौसम में मिलता था लेकिन महिला समूहों द्वारा इसका अब बारह महीने उत्पादन किया जा रहा है।

कृषि और उससे जुड़े विभागों द्वारा महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साईंस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव में कृषि विभाग के लगाए गए स्टॉल में पैरा फुटु के उत्पादन की तकनीकी जानकारी दी जा रही है। इसे ग्रामीणजन उत्सुकता और जिज्ञासा से देख रहे है। कांकेर जिले के ग्राम दुधावा से आए किसान समारू, तीतरा, धनोरा और दुंआरू पैराफुटु देख प्रभावित हुए। उन्होंने बताया कि गांव में बरसात के मौसम में फुटु खाने को मिलता है। फुटु के स्वााद की तारीफ करते हुए बताया कि यह बहुत पौष्टिक होता है केवल यह सीजन में मिलता है। कृषि विभाग के स्टॉल में हाईब्रीड बीज, जैविक खाद निर्माण, फुड प्रोसेसिंग की प्रक्रिया, जैविक खेती, छोटे पौधे तैयार करने, के साथ ही कृषि पर आधारित लघु उद्योगों के बारे में प्रदर्शनी लगायी गयी है। स्टॉल में दुग्ध उत्पाद एवं उनसे बने अन्य उत्पादों और पशुपाालन के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है।