दिल्ली. Tauktae Cyclone. चक्रवाती तूफान ताऊ ते ने गुजरात के बाद अब राजस्थान की ओर रूख कर लिया है. लेकिन, तूफान ने अपने पीछे तबाही के कई निशान छोड़ दिए है. इस चक्रवाती तूफान के कारण गुजरात के तटीय इलाके बूरी तरह से तबाह हो गए हैं. सबसे ज्यादा नुकसान अमरेली, गिर-सोमनाथ, जूनागढ़, पोरबंदर, राजकोट, भावनगर, बोटाद जिलों में हुआ है. वहीं चार जिलों में 1100 करोड़ की फसल बरबाद हो गईं है.

Tauktae तूफान के कारण 28,702 कच्चे और 1327 पक्के मकानों को नुकसान हुआ है. वहीं Tauktae तूफान से प्रभावित 2.38 लाख लोगों को शेल्टर होम में रखा गया, जिससे उनकी जान बची. दूसरी ओर, इस बार अम्फान और निसर्ग की तरह शुरुआत से आखिर तक ताऊ ते की ट्रैकिंग नहीं की जा सकी. वजह रही- मुंबई रडार का काम न करना. मौसम विभाग यह बात छिपाता रहा. विभाग ने कहा था कि तूफान 18 मई को द्वारका के पास टकराएगा. बाद में बताया गया कि तूफान 17 मई को दीव से टकराएगा.

इसे भी पढ़ें- Happy BirthDay Babita : कई वर्षों तक थीं पति से अलग, ये है कारण…

नौसेना से जज्बे से बचीं 620 जिंदगियां

बता दें कि Tauktae तूफान के दौरान चार जहाज भी लापता हो गए थे. जिसमें कुल 707 लोग सवार थे, जिनमें से 620 लोगों को बचा लिया गया है. रेस्क्यू को लेकर आईएनएस कोच्चि के कैप्टन सचिन सिक्वेरी ने बताया कि हवाएं 100 किमी/घंटे की रफ्तार से चल रही थीं. 10-10 मीटर तक ऊंची लहरें उठ रही थीं. इन स्थितियों में भी हमारी टीम लगातार लोगों की तलाश करती रही, लेकिन फिर भी 188 लोगों को बचाने में सफल रही.

बार्ज पी305 पर सवार प्रमोद बताते हैं कि 17 मई को शाम 4 बजे अचानक जहाज डूबने लगा. इसे देख मैंने समुद्र में छलांग लगा दी. मेरे कई साथी भी कूदे. इस दौरान हमें चोटें भी आईं. लेकिन, जान बचाने के लिए हम 19 घंटे तक तैरते रहे. इस दौरान कई लोग एक-दूसरे का हाथ भी थामे रहे. 18 मई सुबह 11 बजे जब नौसेना के युद्धपोत आईएनएस कोच्चि और आईएनएन कोलकाता पहुंचे, तब हमारी जान बचाई जा सकी.

इसे भी पढ़ें- Whatsapp की नई प्राइवेसी पॉलिसी लेकर केंद्र सरकार सख्त, नोटिस भेजकर सात दिनों में मांगा जवाब…

25 घंटे तक मौत से जूझती रहीं 102 जिंदगी

शिप में फंसे ओएनजीसी के 29 वर्षीय डेटा इंजीनियर आकाश भटनागर ने बताया, ‘मैं कंपनी के 101 साथियों के साथ 9 मई को भूषण शिप पर सवार हुआ था. एक दिन बाद ही तूफान की खबरें आने लगी थीं. 16 मई, रात 11 बजे समुद्र में तेज लहरें उठने लगीं. जब तक हम कुछ समझ पाते, तब तक शिप नियंत्रण से बाहर होकर लहरों के साथ चलने लगा. जिसके बाद शिप पर अफरा-तफरी मच गई. आंखों के सामने मौत का मंजर तैरने लगा.

उम्मीद थी कि सुबह राहत मिलेगी. लेकिन, सुबह होते ही तूफान के भयावह दृश्य को देखकर लगा कि अब बचना मुश्किल है. 25 घंटे तक अनियंत्रित शिप तूफान के साथ बहता रहा. 17 मई, रात 12 बजे एक जगह शिप खुद रुका. हम गुजरात सीमा में थे. कुछ घंटों बाद नौसेना का दल पहुंचा, जो हमारे शिप को खींचकर मुंबई ले गया और हम बच गए.