मोसीम तडवी, बुरहानपुर। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले का बंभाडा गांव.. जहां हर दूसरे घर से एक शिक्षक हैं। 8 हजार आबादी वाले बंभाडा गांव में 300 से अधिक शिक्षक हैं। वहीं 50 से अधिक शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए हैं। इस गांव को शिक्षकों का गांव कहा जाता है। इस गांव के हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बेटा बड़ा होकर शिक्षक बने। शिक्षा का जूनून इतना है कि यहां के लोग भारत ही नहीं दुबई तक में अपना नाम रोशन कर रहे हैं।

सेवानिवृत्त शिक्षक एलडी महाजन ने बताया कि मेरे दोनों बेटे शिक्षक हैं, मैं खुद शिक्षक था। मेरी पत्नी द्रोपती भी प्राचार्य रही। बड़ा बेटा प्रमोद महाजन दुबई में प्रचार्य है। छोटा बेटा सुदीप महाजन महाराष्ट्र के अमरावती के पोद्दार कॉलेज में प्राचार्य है। बेटों की कहानी सुनाते हुए पिता एलडी महाजन इतने खुश हुए की खुशी में ही सब कुछ बायां कर दिया..

अब सेवानिवृत्त शिक्षक 89 साल के प्रह्लाद पाटिल की कहानी

ग्राम बंभाडा में 1934 में जन्मे प्रह्लाद पाटिल बताते हैं कि वो 1954 में शिक्षक बने थे.. उनके कई शिष्य भी शिक्षक बन गए हैं, कई इंजीनियर तो कई डॉक्टर बनाकर सेवा दे रहे हैं। मेरे बेटे और बहुएं भी शिक्षक हैं। प्रह्लाद पाटिल के बड़े बेटे अमर पाटिल शिक्षक के साथ-साथ शिक्षा संघ इंदौर संभाग के अध्यक्ष भी हैं। वहीं बेटी संध्या देशमुख शिक्षिका है। बड़ी बहु ज्योति पाटिल भी शिक्षिका है। छोटी बहु वैशाली पाटिल गांव के ही स्कूल में
प्राचार्य हैं। उन्होंने बताया कि मेरे जीतने भी विद्यार्थी हैं वो आज भी मुझसे
मिलने मेरे गांव आते हैं।

आजादी के बाद से 50 से अधिक शिक्षक हुए सेवानिवृत्त

गाँव के कई लोग आजादी के पहले से शिक्षक थे, अभी तक 50 से अधिक शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। गांव में जो सेवानिवृत्त शिक्षक हुए उनकी ही बहुएं या बेटे भी शिक्षक हैं। इस गांव में बेटा-बेटियों में इतना जूनून है। एक दूसरे को देखर शिक्षक बनने की चाह रखते हैं।

गांव को शिक्षक वाले गांव से जानते है लोग

इस गांव में हर दूसरे घर में एक शिक्षक है, इसलिए ग्राम बंभाडा को शिक्षक वाले गांव से जाना जाता है। आबादी 8 हजार वाले गांव में 300 से अधिक शिक्षक हैं। खास बात यह है कि शादी के बाद भी यहां बहुओं की पढ़ाई नहीं छुड़वाते, बल्कि सास-ससुर मदद करते हैं।

हर क्षेत्र में सेवा दे रहे इस गांव के युवा

बंभाडा गांव के लोग शिक्षक ही नहीं.. कई डॉक्टर भी हैं तो कई इंजीनियर कई फौज में भी हैं। गांव से करीब 10-15 युवा फौज में है। गांव में खेती किसानी करने वाले किसान भी है।

दो हजार से अधिक युवा ग्रेजुएट

यहां के करीब दो हजार से ज्यादा युवा ग्रेजुएट हैं। अधिकांश डीएड, बीएड सहित अन्य क्षेत्र में उच्च शिक्षित हैं। पढ़ाने का ऐसा जुनून कि हर साल यहां से शिक्षक निकल रहे हैं। यहां शिक्षा का प्रतिशत करीब 85 के आसपास है।

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