रायपुर. यू तो शिक्षाकर्मियों की हड़ताल समाप्त हो गई है. लेकिन उनकी लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है. इन शिक्षाकर्मियों ने अब लड़ने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है.
शिक्षाकर्मियो ने सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार के उस व्यक्तव्य का जवाब दिया है, जिसमें सरकार की ओर से यह प्रसारित किया गया था कि प्रदेश के शिक्षाकर्मियों को अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा वेतन और बेहतर सुविधाएं दी जाती है. इसके वावजूद ये शिक्षाकर्मी बेवजह हड़ताल कर रहे है।
लेकिन एक बार फिर इन शिक्षाकर्मियों ने सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी भड़ास निकाली है. शिक्षक मोर्चा संघ के संचालक संजय शर्मा ने फेसबुक पर पोस्ट डाली है जिसमें उन्होंने शिक्षाकर्मियों को दिये जाने वाले वेतन से लेकर अन्य सुविधाओं का जिक्र करते हुए कुछ सवाल किये है. संजय ने इस पोस्ट के माध्यम कुछ उदाहरण देते हुए सवाल किया है कि ‘क्या आपको भी शिक्षाकर्मियों का वेतन अधिक लगता है.’
इस पोस्ट में संजय में लिखा है कि भारत में ‘गुरुजी’ शब्द ही हास्यास्पद हो गया है. जिसे काम को कोई करने वाला न हो, उस सब काम को करने के लिए गुरुजी है. वह पशुगणना, जनगणना, चुनाव करवाना,ओ डी एफ़ या कुछ और हो. प्रतिष्ठा के साथ ही इनकी पारिश्रमिक में भी ह्रास हुआ है. नतीजा सामने है. जो स्वयं हीन भावना से ग्रस्त हों, वे बच्चे को गौरव, आत्मसम्मान एवं उत्साह की शिक्षा देने अग्रसर है.
संजय ने आगे लिखा है कि फिर भी इतनी विषमताओं के बाद भी प्रदेश की शिक्षा में शिक्षाकर्मी अपना श्रेष्ठ दे रहे हैं यह हमारी शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है और राज्यपाल,राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री शिक्षक गौरव अलंकरण में शिक्षाकर्मियों का चयन मेरे इस दावे को प्रमाणित करता है.
सजंय शर्मा का यह पोस्ट यह जाहिर करता है कि शिक्षाकर्मियों की हड़ताल भले ही समाप्त हो गई है लेकिन उनकी मांगो को लेकर अन्दोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि उसका स्वरूप जरूर बदल गया है.
सजंय शर्मा द्वारा किया गया पोस्ट इस प्रकार है :—
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