शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में 6 महीने के भीतर अब दुबारा बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। बिजली विभाग के इंजीनियरों ने उपभोक्ताओं को मिल रही महंगी बिजली के लिए ब्यूरोक्रेट्स को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने दावा किया है कि उनके पास सस्ती बिजली देने का प्लान है।

अभियंता महासंघ के महासचिव वीकेएस परिहार ने कहा कि बिजली कंपनियों का जिम्मा सरकार टेक्नोक्रेट्स को सौंपे। ब्यूरोक्रेट की फौरी योजनाओं से बिजली कंपनियों को घाटा हो रहा है। ब्यूरोक्रेट घाटे की भरपाई के लिए बिजली महंगी करने का उपाय देते हैं। मध्य प्रदेश में IAS अफसरों के पास एमपी की बिजली कंपनियों का जिम्मा है।

लाइन लॉस और चोरी में 30 फीसदी की बरबादी

इंजीनियरों ने दावा किया है कि सरकार 1 जिला हमें सौंप दे, हम विभाग को मुनाफा देंगे। उन्होंने कहा कि लाइन लॉस रोकने, बिजली चोरी रोकने के लिए अमले को अधिकार चाहिए। उपभोक्ताओं तक कुल उत्पादित बिजली का केवल 70 फीसदी हिस्सा ही पहुंचता है।  लाइन लॉस और बिजली चोरी में 30 फीसदी बिजली बरबाद हो जाती है।

आठ फीसदी से ज्यादा हो सकती है महंगी

जो जानकारी निकल कर आ रही है उसके मुताबिक जुलाई से 8.32% घरेलू बिजली महंगी हाे सकती है। 200 यूनिट तक की बिजली के खपत वाले घरों में बिल की राशि 145 रुपए रुपये बढ़कर आ सकती है। वहीं 300 यूनिट की बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं का बिजली बिल 296 रुपये बढ़कर आ सकता है।

फैसला वापस ले सरकार

सरकार द्वारा बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी से प्रदेश की जनता को बड़ा झटका लगा है। जनता ने सरकार से बिजली के दाम नहीं बढ़ाए जाने की अपील की है। जनता का कहना है कि कोरोना काल में पहले ही उनकी कमर टूट चूकी है। अगर सरकार दाम बढ़ाने का फैसला ले रही है तो उसे वापस लिया जाए।

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