रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने नक्सल प्रभावित आदिवासी इलाके के दंतेवाड़ा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकान के लिए भेजे गए चावल को राशन दुकान तक पहुँचाने के बजाय किसी व्यापारी को बेच दिए जाने के मामले को लेकर प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है। दंतेवाड़ा ज़िला मुख्यालय से गुड़से ग्राम की राशन दुकान के लिए रवाना किया गया एक ट्रक राशन दंतेवाड़ा ज़िला मुख्यालय में परिवहनकर्ता द्वारा बेच दिए जाने का मामला सरकारी संरक्षण में आपसी मिलीभगत से किसी बड़े घोटाले की आशंका को जन्म दे रहा है।

भाजपा नेता व पूर्व मंत्री कश्यप ने कहा कि यद्यपि इस मामले को लेकर प्रशासन हरक़त में आया ज़रूर है, तथापि सवाल यह है कि आख़िर कोरोना काल में नक्सल प्रभावित इस ज़िले में इतना दुस्साहस एक परिवहनकर्ता ने किसकी शह पर किया है? एक तरफ बस्तर संभाग कोरोना महामारी की मार से जूझ रहा है, दूसरी तरफ नक्सली हिंसा ने इस संभाग को लहूलुहान कर रखा है। ऐसी दोतरफा मार सह रहे बस्तर को अब राशन घोटाले के नाम पर तीसरी तरफ से भी संकट में डाला जा रहा है।

भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ का दावा करने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार के संरक्षण में अब आदिवासियों का निवाला तक छीनकर भ्रष्टाचार की यह एक नई कलंक-कथा लिखी जा रही है। अब तक जो जानकारी सामने आई है, उससे यह इस आशंका को बल मिल रहा है कि इस पूरे मामले में कांग्रेस के कतिपय बड़े नेताओं की संलिप्तता है और प्रदेश सरकार को इस मामले की निष्पक्ष तौर पर उच्चस्तरीय जाँच करानी चाहिए।

कश्यप ने कहा कि प्रदेश में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने हर ग़रीब, आदिवासी, निराश्रित के लिए अनाज सुलभ कराया था ताकि प्रदेश का कोई भी नागरिक भूखा न सोए। भाजपा शासन में सार्वजनिक वितरण प्रणाली एक आदर्श थी और देश के विभिन्न राज्यों ने छत्तीसगढ़ के इस सिस्टम का यहाँ आकर अध्ययन कर अपने राज्यों में इसे लागू किया। श्री कश्यप ने कहा कि जबसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई है, उसने कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं और अब वह रेत, शराब, ज़मीन माफियाओं के बाद अब राशन माफियाओं के ग़िरोह को पनपने की खुली छूट देती दिख रही है।