नई दिल्ली.  वित्त विधेयक-2023 संसद में पास हो गया. इसमें सरकार ने कई बदलाव किए हैं, जो निवेशकों को कई तरह से झटका देंगे. सबसे बड़ा बदलाव म्यूचुअल फंड से जुड़े नियमों में किया गया है.

वित्त विधेयक 2023 के संशोधनों के बाद केवल वह डेट म्युचुअल फंड टैक्स बेनेफिट्स खो देंगे, जहां म्युचुअल फंड में इक्विटी निवेश 35 फीसदी से अधिक नहीं है. 1 अप्रैल 2023 से इन डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर आपकी कमाई पर लागू इनकम टैक्स स्लैब रेट पर टैक्स लगेगा. यह 100 फीसदी डेट म्युचुअल फंड स्कीम्स और बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट के बीच टैक्सेशन को समान कर देता है. वर्तमान में डेट ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड स्कीम्स को सेबी के नियमों का पालन करने के लिए अपने कॉर्पस का न्यूनतम 65 फीसदी डेट सिक्यूरटीज में निवेश करना होता है.

निवेशकों पर आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा

नए नियम के तहत, निवेश चाहे तीन साल के लिए हो या 10 वर्ष के लिए, उसके कुल मुनाफे को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ की श्रेणी में गिना जाएगा. इसके चलते निवेशकों को अपने आयकर स्लैब के हिसाब से ही मुनाफे पर कर का भुगतान करना पड़ेगा. कर स्लैब 30 फीसदी तक जाता है तो निवेशकों को इतना टैक्स भरना पड़ सकता है.

31 मार्च तक निवेश पर LTCG टैक्स बेनिफिट मिलेंगे

वित्त विधेयक 2023 में संशोधन के अनुसार 1 अप्रैल 2023 को या उसके बाद डेट म्यूचुअल फंड इकाइयों (जहां इक्विटी निवेश 35% तक है) में किसी भी निवेश का लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर नहीं मिलेगा. इसका मतलब है कि 31 मार्च 2023 तक इन डेट म्यूचुअल फंड्स में किए गए निवेश को मौजूदा एलटीसीजी टैक्सेशन व्यवस्था का लाभ मिलेगा.

जानकारों का कहना है कि बैंकों की एफडी में रुझान दोबारा बढ़ाने के लिए नियमों में बदलाव किया गया है. इसके तहत ऋण म्यूचुअल फंड पर ज्यादा टैक्स चुकाने के बजाय निवेशक बैंकों में सावधि जमा कराने का रुख करेंगे.

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