रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने देश के लोकप्रिय हिन्दी कवि गोपाल दास नीरज के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि नीरज के निधन से आधुनिक हिन्दी कविता की विकास यात्रा के एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया। उनका निधन हिन्दी साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है।

मुख्यमंत्री ने कहा- गोपाल दास नीरज ने अपनी कविताओं के माध्यम से वर्षों तक देश और समाज में मानवीय संवेदनाओं के विभिन्न रंगों को अत्यंत भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। कवि सम्मेलनों के मंचों पर उन्हें अपार लोकप्रियता मिली। उनके अनेक कविता संग्रह भी प्रकाशित हुए। डॉ. रमन सिंह ने कहा- छत्तीसगढ़ की साहित्यिक बिरादरी और यहां की जनता के साथ भी श्री गोपालदास नीरज का वर्षो पुराना आत्मीय और भावनात्मक संबंध था। नीरज ने कई बार छत्तीसगढ़ आकर कवि सम्मेलनों में अपनी कविताओं के जरिए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार के पद्मश्री और पद्मभूषण अलंकरणों से सम्मानित गोपालदास नीरज का आज नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स )में निधन हो गया।

गोपालदास नीरज का जन्म उत्तर प्रदेश के ग्राम पूर्वाली (जिला-इटावा) में चार जनवरी 1925 को हुआ था। नीरज को वर्ष 1991 में पद्मश्री और वर्ष 2007 में पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया था। उन्हें इसके अलावा वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ की ओर से यश भारती सम्मान भी प्रदान किया गया था। नीरज ने हिन्दी फिल्मों में भी कई गीत लिखे। उन्हें गीत लेखन के लिए तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया, जिनमें वर्ष 1970 में बनी फिल्म ’चंदा और बिजली’ का गीत काल का पहिया घूमे, वर्ष 1971 में बनी फिल्म ’पहचान’ का गीत-बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं-आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं और वर्ष 1972 में आयी फिल्म ’मेरा नाम जोकर’ का गीत-ऐ भाई ! जरा देख के चलो शामिल हैं। उनके कविता संग्रहों में संघर्ष (वर्ष 1944), ’अंतर्ध्वनि’ (वर्ष 1946), ’कारवां गुजर गया’ (वर्ष 1964) और ’फिर दीप जलेगा’ (वर्ष 1970) सहित लगभग 17 काव्य संग्रह शामिल हैं।

आज हमने ऋषि कवि खो दिया : डॉ. सुरेन्द्र दुबे 

नीरज को छग और मुझसे बहुत प्यार था, करीब 30 वर्षों से मेरे उनके पितृवत संबंध रहे, हमने ऋषि कवि खो दिया. उनके बारे में याद ताजा करते हुए पद्म विभूषण सुरेन्द्र दुबे ने कहा कि तबीयत खराब होने के बाद भी वे छत्तीसगढ़ विधानसभा में काव्य पाठ करने पहुंचे थे. नीरज जी अक्सर कहा करते थे – आत्म के सौन्दर्य का शब्द रूप है काव्य, मानव होना भाग्य, कवि होना सौभाग्य. मैं छत्तीसगढ़ की ढाई करोड़ जनता की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं.

गीत विधा के अंतिम चमत्कार : रामेश्वर वैष्णव

गोपाल दास नीरज के निधन पर कवि रामेश्वर वैष्णव ने गहरा दुःख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि गोपाल दास नीरज गीत विधा के अंतिम चमत्कार थे. उनके बाद उनके जैसा दूसरा कोई नहीं हो सकता.

साहित्य जगत में एक युग का अंत : रमेश अनुपम

गोपालदास नीरज के निधन पर रविशंकर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग सेवा निवृत्त प्रोफेसर रमेश अनुपम ने कहा कि नीरज जी का निधन अपूर्णिय क्षति है. हिंदी साहित्य जगत में एक युग का अंत हो गया है. मैं स्कूल के समय से ही उन्हें सुनता और देखता था. कवि सम्मेलनों का वे आकर्षण हुआ करते थे, हम उन्हें सुनने के लिए रात-रात भर जगा करते थे.