जगदलपुर।  बस्तर दशहरा पर्व की तैयारियां शुरू हो गई है. इसके लिए रथ बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है. स्थानीय कारीगरों द्वारा  परंपरागत तरीके से इसका निर्माण किया जाना है.
साल लकड़ी से निर्मित विशालकाय रथ की परिक्रमा की जाती है और उसको बनाने के लिए विभिन्न गांव से साल की लकड़ी एकत्र करने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है. शनिवार को रथ बनाने के लिए परंपरागत कारीगरों ने अपने-अपने औजारों की पूजा की तथा प्रतिक स्वरूप बारसी उतारकर रस्म अदायगी की गई.
डेरी गड़ाई रस्म संपन्न
बस्तर दशहरा समिति के सचिव और तहसीलदार मंडावी ने बताया कि बस्तर दशहरा में किसी भी कार्य को करने के पूर्व पूजा-अर्चना की जाती है. सर्वप्रथम पाठ जात्रा के दिवस लकड़ी की पूजा की गई और विगत 1 सप्ताह पूर्व डेरी गड़ाई रस्म संपन्न हुआ.  दशहरा रथ निर्माण के लिए कारीगरों का पहुंचना प्रारंभ हो गया है. साथ ही विभिन्न अंचलों से साल की लकड़ियां भी पहुंच गई है. रस्म अनुसार रथ बनाने से पूर्व झारउमर गांव के ग्रामीण औजारों की पूजा  करते हैं जिसे बारसी उतरानी रस्म कहा जाता है.
भीतर और बाहरी रैनी में परिक्रमा करती है नया रथ
बस्तर की दशहरा में दो विधान होते हैं जिसे भीतर रैना और बाहर रैनी विधान करते हैं. इस विधान में नए रथ की परिक्रमा होती है और इसके बनाने का कार्य आज से प्रारंभ हो रहा है जो कि ऊपर वर्णित रस्मों से पूर्व बनकर यह तैयार हो जाएगा.
दलपति और कमल के जिम्में रक्त निर्माण का काम
बस्तर दशहरा रथ निर्माण की जवाबदारी बेडा उमरगांव और झा उमरगांव के दलपति और कमल के जिम्मे हैं. वह अपने डेढ़ सौ सदस्यों के साथ इसकी जवाबदारी निभाते हुए निर्माण में लग गए हैं. बार्शी उतरानी रस्म के बाद चर्चा में बताया कि उनके पूर्वज इस कार्य में राजशाही शासन काल से लगे हुए थे और उनके परिजन भी इस कार्य में लगे हुए हैं. दशहरा समिति द्वारा उन्हें 1 किलो चावल दिया जाता है जिसकी बदौलत वह निर्माण कार्य निस्वार्थ भाव से करते हैं. अगर वे कार्य से मना करें तो उन्हें कई सामाजिक रीति रिवाज का सामना करना पड़ता है. ऐसा न करने पर उन्हें समाज से बहिष्कृत किया जा सकता है या फिर दंड अदा कर समाज में मिलने के लिए भोज देना पड़ता है.
6 दिन चलेगा पुराना रथ
बस्तर दशहरा में द्वितीया से लेकर सप्तमी तक 6 दिनों तक पुराना रथ चलाया जाता है, जिसमें स्थानीय दंतेश्वरी मंदिर में स्थापित मां दंतेश्वरी की छात्र और डोली की परिक्रमा कराई जाती है और वह लोगों को दर्शनार्थ लाभ पहुंचाती है. रथ परिक्रमा को देखने विदेशी सैलानी भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
सभी समाजों की अलग-अलग जवाबदारी तय
बस्तर दशहरा पूरे विश्व में मनाए जाने वाले दशहरा से अलग है और इसमें बस्तर में निवासरत करने वाले सभी वर्गों को अलग-अलग जवाबदारी दी जाती है. जिसके तहत कोई लकड़ी लेकर आता है तो कोई भोग के लिए सामग्री बनाता है. कोई मछली लेकर पहुंचता है किसी को शराब लाने की जिम्मेदारी दी जाती है.