रिपोर्ट-सतीश चाण्डक, सुकमा। 
यह किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है, बल्कि सच्ची घटना है। समाजिक बहिष्कार की ऐसी सच्ची घटना जो दिल दहलाने वाली है। गांव के किनारे घने जंगल में चार घंटे तक गर्भवती महिला दर्द के मारे कहराती रही। उसे देखने के लिए गांव के लोग इक्ठठा हो गए। उन गांवो वालो के साथ उसकी मां भी शामिल थी। दर्द के मारे महिला पानी-पानी के लिए चिल्लाती रही लेकिन एक मां की ऐसी समाजिक मजबूरी की वो पानी नहीं पिला सकी। लेकिन गर्भवती महिला ने हिम्मत नहीं हारी और देखते ही देखते दो स्वस्थ्य बच्चों को जन्म दे दिया। हालांकि सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की एम्बूलेंस चार घंटे बाद गांव पहुंची उसके बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर मां और बच्चे तीनो सुरक्षित और स्वस्थ्य है।

 सीमावर्ती जिला मलकानगिरी के मथली ब्लाक के केनडूगूड़ा गांव निवासी गर्भवती महिला गोरी पुजारी सोमवार को वो किसी काम से गांव के समीप जंगल गई थी। जब उनके पति तिरिलोचन पुजारी घर पर नहीं थे वो काम से बाहर गए हुए थे। जब वो जंगह गई तब अचानक करीब 12 बजे पेट में दर्द उठा। वो नीचे बैठ गई और दर्द के मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगी। तभी उसकी आवाज सुनकर गावं के लोग इक्ठठे होने शुरू हो गए। जैसे ही उसकी मां को पता चला तो वो भी वहां आ गई। देखते ही देखते करीब तीस-चालीस लोग इक्ठठे हो गए। दर्द के मारे गोरी पानी-पानी चिल्लाने लगी लेकिन किसी ने पानी पिलाने की हिम्मत तक नहीं की। खबर मिलते ही गांव की मितानिन आशा दीदी वहा पहुंच गई। लेकिन उन्होंने भी हाथ नही लगाया। उसने तत्काल अस्पताल फोन कर 102 को सूचना दी। करीब चार घंटे तक यू ही जंगल में महिला दर्द के मारे रोती रही। इधर सूचना मिलते ही पति भी वहां पहुंच गया। लेकिन गोरी ने हिम्मत नहीं हारी और आशा दीदी की मदद से दो स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया। सूचना मिलते ही एम्बूलेंस गांव पहुंच गई और शाम करीब 5 बजे महिला को मथली अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर गोरी और उसके बच्चे दोनो स्वस्थ्य व सुरक्षित है।

समाजिक बहिष्कार के आगे मां भी हुई मजबूर 

सोचो किसी मां के सामने उसकी बेटी दर्द के मारे कहरा रह हो और पानी मांग रही हो तो उस वक्त चाहकर भी मां मदद नहीं कर पा रही है ऐसी स्थिति में मां को कैसा लग रहा होगा। जीं हा उस वक्त गांव वालो के साथ गोरी की मां भी वहां पहुंची थी। लेकिन समाजिक मजबूरी के आगे वो बेबस थी। चाहकर भी मदद के लिए आगे नहीं आई।

दूसरे समाज में की शादी तो गांव से हुआ बहिष्कार 
जानकारी के मुताबिक दो साल पहले महिला गोरी पुजारी जो कुमार (ओबीसी) जाति की है। और उसका पति तिरिलोचन पुजारी भूमिया (आदिवासी) है। प्रेम के चलते दोनो ने आपस में शादी कर ली। जिसके विरोध में गांव वालो ने समाजिक बैठक बुलाकर दोनो का बहिष्कार कर दिया। शादी के बाद दोनो उसी गांव में रहने लगे। लेकिन उनके घर गांव वाले ना ही जाते थे और ना ही ये लोग किसी के जाते थे।

भले ही सरकारे समाज की कुरीतियों को हटाने के लिए कितनी भी योजनाए चला ले लेकिन आज भी देश में ऐेसे कई जगह है जो कुरीतिया खत्म होने का नाम तक नहीं ले रही है। शिक्षा पर भले ही करोड़ खर्च कर रही है लेकिन जागरूकता अभी तक कोसो दूर है।