लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि यूपी विधानमंडल का यह सदन ऐतिहासिक और क्रांतिकारी घटनाओं का अगुआ रहा है. देश को दिशा और नेतृत्व प्रदान करने वाली महान राजनीतिक विभूतियां इस विधान मंडल के सदस्य रही हैं.

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सोमवार को विधान मंडल के संयुक्त बैठक में बोल रही थीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानमंडल देश के विधानमंडलों में एक ऐसी अकेली संस्था है, जिसने देश को लाल बहादुर शास्त्री, चौधरी चरण सिंह, और वीपी सिंह जैसे प्रधानमंत्री दिए हैं. इसके साथ ही राज्य को सबसे अधिक 9 प्रधानमंत्री देने का गौरव भी प्राप्त हुआ है. स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने इस लखनऊ से निर्वाचित होकर देश का नेतृत्व किया और आज यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस प्रदेश से निर्वाचित होकर देश को नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं. देश को नेतृत्व प्रदान करने वाले राज्य के ऐतिहासिक विधानमंडल का सदस्य होना आपके लिए गौरव की बात है.

पटेल ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में सदस्यों की भूमिका में निरंतर वृद्धि एवं परिवर्तन हो रहे हैं. सदन एवं संसदीय क्षेत्र में कर्तव्य और दायित्व का विस्तार हो रहा है. ऐसे में संसदीय ज्ञान और कार्यकौशल में विशेषता सदस्य गणों को अपने दायित्व के निर्वहन में सरलता और सहजता प्रदान करती है. उन्होंने कहा कि सदस्यों को अपनी कार्यशैली और विशेष रूप से सदन और सदन के बाहर आचरण का अवलोकन करना होगा. सदन की कार्यवाई सुचारू रूप से एवं निर्बाध रूप से संचालित हो सके. तभी लोकतांत्रिक प्रक्रिया सफल होगी और लोकतंत्र मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि हमें हमारे संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं पर गर्व है. ज्ञान-विज्ञान से समृद्ध भारत आज मंगल से लेकर चंद्रमा तक अपनी छाप छोड़ रहा है. आज दुनिया के हर मंच पर भारत की क्षमता और प्रतिभा की गूंज है. आज हमारा देश अभाव के अंधकार से बाहर निकल कर के 130 करोड़ से अधिक भारतवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए आगे बढ़ रहा है.

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उन्होंने कहा कि विधानमंडल में महामहिम राष्ट्रपति का संबोधन और उनका मार्गदर्शन निश्चित रूप से आपको जनप्रतिनिधि की आदर्श भूमिका के निर्वहन में उपयोगी सिद्ध होगा. मुझे विश्वास है कि यह अवसर उत्तर प्रदेश विधानमंडल के संसदीय इतिहास में दीघकालीन प्रभाव छोड़ेगा. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि अनगिनत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा दी गई आजादी की विरासत को संजोने का उत्सव भी है. यह उत्सव नए भारत के निर्माण और जनता के गुमनाम नायकों को सहित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान को स्मरण करने का भी अवसर है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष और बलिदान का ही प्रतिफल है कि आज हम आजाद भारत में सबसे बड़ी विधायिका में जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. यह विधायिका उनके आदशरें और संघर्षों का प्रतिरूप है, जिसमें समाज के किसी भी वर्ग, समुदाय, धर्म, जाति और अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति भी इस विधायिका का सदस्य निर्वाचित हो सकता है.

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