जशपुर। लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है। सर्प दंश की वजह से शारीरिक रूप से दिव्यांग हो चुके युवक विनोद चौहान की सहायता के लिए राज्य सरकार ने हाथ बढ़ाया है। युवक को न सिर्फ ट्राई साईकिल दी गई बल्कि उसके लिए रोजगार भी मुहैया कराया गया।

समाज कल्याण विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने लल्लूराम डॉट कॉम की खबर पढ़ने के बाद कलेक्टर जशपुर प्रियंका शुक्ला को दिव्यांग युवक विनोद चौहान की सहायता का निर्देश दिया। जिसके बाद कलेक्टर ने विनोद चौहान को समाज कल्याण विभाग की ओर से ट्राई साईकिल प्रदान किया इसके साथ ही उन्होंने एलईडी बनाने वाले स्व सहायता समूह में उसके लिए रोजगार की व्यवस्था की।

विनोद चौहान को सहायता प्रदान किए जाने के बाद कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने इसकी जानकारी सचिव सोनमणि बोरा को दी और उन्होंने लल्लूराम डॉट कॉम को फोन कर बताया।

इसके पहले राजधानी के आरंग में भी 30 साल से सहायता के लिए भटक रहे दिव्यांग को लल्लूराम डॉट कॉम की खबर के बाद सचिव सोनमणि बोरा ने बैटरी युक्त ट्राईसाइकिल प्रदान करवाई थी। दुर्ग जिले की एक दिव्यांग महिला सरपंच जिसे स्वच्छता के लिए पीएम मोदी ने “नारी शक्ति” के सम्मान से सम्मानित किया था। उन्हें भी सचिव बोरा ने ट्राईसाइकिल प्रदान करवाई।

इसके साथ ही पाकिस्तान को योग में धूल चटाने वाली युवती दामिनी को छत्तीसगढ़ का योग का ब्रांड एंबेस्डर बनाया गया था। उसके पहले दामिनी का परिवार गरीबी में जीने को मजबूर था। खुद दामिनी को अपने माता-पिता के साथ रेजा-कुली का काम करना पड़ता था। लल्लूराम डॉट कॉम की इस खबर के बाद योग आयोग के अध्यक्ष खुद दामिनी के घर गए थे और उसे योग का ब्रांड एंबेस्डर बनाने की घोषणा की थी।

ये है पूरा मामला

 पढ़ाई में होनहार गरीब परिवार का युवक विनोद चौहान की जिंदगी उस वक्त जहन्नुम बन गई। जब इस युवक को जहरीले करैत ने काट लिया। सर्पदंश की वजह से दोनों पैरों से लाचार विनोद चौहान पेंशन के लिए 6 किलोमीटर का पैदल सफर 8 घंटे में पूरा करता था  । गरीब परिवार में रह रहे निःशक्त को तीन सौ रुपए पेंशन के सिवा किसी भी प्रकार की सरकारी मदद नहीं मिलती थी।
कोतबा से लगे पंचायत परसाटोली के आश्रित ग्राम गोलियागढ़ पकरी टोला निवासी विनोद चौहान को 10 साल पहले जहरीले करैत सांप ने डस लिया था। इलाज के बाद विनोद की जान तो बच गई लेकिन शरीर में सर्पदशं के कारण गंभीर क्षति पहुंची। विनोद चौहान की स्थिति यह थी कि वह दोनों पैर से घिसट कर मुश्किल से दो कदम चलता था। आंखों की रोशनी भी लगातार कम होती जा रही है और उसे देखने में बड़ी परेशानी होने लगी।
 विनोद का परिवार अत्यंत गरीब है,और वह दो छोटे भाइयों के साथ रहता है। पिता डमरूधर चौहान ट्रक चालक है और  आमदनी इतनी नहीं है कि  विनोद का बड़े अस्पताल में ले जाकर इलाज करा सके। बड़ी मशक्कत के बाद विनोद को निःशक्त पेंशन के रूप में साढ़े तीन सौ रुपए मिलना प्रारंभ तो हो गया था लेकिन पेंशन लेने के लिए जो मशक्कत करनी पड़ती थी वह बेहद ही तकलीफ दायक थी । पेंशन लेने जाने और लेकर आने में उसे 6 किलोमीटर से अधिक का सफर घिसट-घिसट कर पैदल तय करना पड़ता था।