राजस्थान के करौली को मिनी वृंदावन भी कहा जाता है क्योंकि यहां मंदिरों की कमी नही हैं. किसी भी गली से निकल जाओ आपको यहां भगवान के दर्शन होंगे ही क्योंकि यहां बहुत से प्राचीन मंदिर हैं. इन्हीं में से एक प्रसिद्ध है कल्याण जी का मंदिर जो कि करौली रियासत का सबसे पहला मंदिर है. करौली के राज महलों के सामने स्थित कल्याण जी का मंदिर करौली का सबसे प्राचीनतम मंदिर है इसी मंदिर के नाम पर करौली रियासत का नामकरण होने से प्रतीत होता है कि राजा अर्जुन देव ने 1348 ईस्वी में करौली की स्थापना के समय इस मंदिर का निर्माण कराया था.

यहां के लोग कल्याण जी को अपना कुलदेवता मानते थे इसी कारण करौली रियासत को पहले कल्याणपुरी के नाम से जाना जाता था. Read More – बचपन से ही बच्चों में डालें हाइजीन से जुड़ी ये आदतें, नहीं होंगे बार बार बीमार …

रथ के आकार में है मंदिर

रथ की आकृति में बने इस मंदिर की दिव्यता और भव्यता देखते ही बनती है. इस मंदिर की दीवारों पर बनाई गई सुंदर मूर्तियां और कलाकृतियां अद्भुत है. कल्याण जी के सारथी के रूप में गरुड़ भगवान मंदिर के प्रवेश द्वार पर विराजमान है भव्य मंदिर के गर्भ गृह के द्वार पर ही दाएं तरफ ब्रह्मा जी और बाई तरफ शिव पार्वती विराजमान है. गर्भ ग्रह के मुख्य द्वार पर ही विष्णु जी के 12 अवतार की मूर्तियां सुसज्जित है, इसी मंदिर में ग्यारस माता की मूर्तियां भगवान ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश के चरणों में उल्टी लटकी हुई है. एकादशी का व्रत रखने वाली महिलाएं ग्यारस के अवसर पर माता को चावल चढ़ाने आती हैं. Read More – Jaya Bachchan Angry Video : एयरपोर्ट में कैमरा पर्सन पर भड़की जया बच्चन, वीडियो हो रहा वायरल …

लगा हैं सोने का कलश

वर्तमान में करौली का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां आज भी सोने के कलश लगे हुए हैं. मंदिर में कल्याण जी के साथ लक्ष्मी जी और राधा कृष्ण की भी मूर्तियां विराजमान है कल्याण जी महाराज का सुबह और शाम को होने वाली आरती में पंचमेवा का भोग लगाया जाता है और हर वर्ष होली और सावनी तीज के अवसर पर विशेष झूला दर्शन होते हैं.