रायपुर. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष,टी.एस.सिंहदेव ने, राज्य सरकार द्वारा अस्पतालों को प्राइवेट संस्थानों को देने के निर्णय पर विरोध दर्ज करते हुये कहा कि, राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है. प्रदेश में शिक्षा के निजीकरण के बाद स्वास्थ्य सुविधा को भी निजी संस्थानों को हवाले करने जा रही है.

उन्होंने कहा कि, स्वास्थ्य विभाग द्वारा 13 जुलाई 2018 को पब्लिक-प्रायवेट भागीदारी से प्रदेश के रायपुर,धमतरी,बलौदा बाजार,दुर्ग और कोरिया जिलान्तर्गत अस्पताल संचालन के लिए बिड जारी की गई है. टेण्डर की अंतिम तिथि 25 अगस्त 2018 रखी गई है,जिसका कैपिटल काॅस्ट 7.7 करोड़ है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, स्वास्थ्य सुविधा प्रदेश के प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है. किन्तु राज्य सरकार, नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं देने में नाकाम रही है. राज्य सरकार को आम जनता को फ्री इलाज मुहैया कराये जाने के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए, किन्तु राज्य सरकार, स्वास्थ्य जो कि सेवा का क्षेत्र है, को भी व्यापार बना रही है.
जिम्मेदार कौन ?
सिंहदेव ने कहा कि, प्राइवेट संस्थानों द्वारा अस्पताल का संचालन करने से न तो सरकार का उन पर पूर्ण रूप से नियंत्रण रहेगा और न जिम्मेदारी तय हो सकेगी. गरीबों को मुफ्त इलाज भी नहीं मिल सकेगा. वर्तमान में भी 108 एंबुलेंस सेवा को सरकार ने प्राइवेट संस्था को संचालन हेतु दिया है,नतीजा आये दिन गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण, दुखद समाचार प्राप्त हो रहे हैं. कर्मचारी हड़ताल पर रहते हैं,सेवाएं बाधित होती है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है ?
उन्होंने कहा कि, विगत महीनों में अस्पतालों के निजीकरण के संबंध में विभिन्न मंचों पर विभागीय मंत्री  से जानकारी चाही गई,जिसपर मंत्री  ने अनभिज्ञता जाहिर की और  कहा था कि,सरकार इस दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है. किन्तु कुछ ही दिनों बाद चुनाव से ठीक पहले गुपचुप तरीके से आधा दर्जन अस्पतालों को प्राइवेट संस्थान को देने का टेण्डर निकाल दिया गया. सरकार, स्वास्थ्य के क्षेत्र से भी मुनाफा कमाने का रास्ता खोल रही है.
आम नागरिकों के साथ छल…
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, स्वास्थ्य सुविधा जैसी मूलभूत और अनिवार्य क्षेत्र को प्राइवेट संस्था को दिया जाना,प्रदेश के गरीब और आम नागरिकों के साथ छल होगा. इन अस्पतालों में इलाज मंहगा होने के साथ-साथ निर्धारित तय सीमान्तर्गत में ही गरीबों का ईलाज संभव हो सकेगा. सरकार के इस गुपचुप रवैये से प्रदेश के आम नागरिकों सहित जनप्रतिनिधियों में भी रोष व्याप्त है. सरकार के इस नीतिगत निर्णय का विरोध व्यापक पैमाने पर हो रहा है. जनव्यापी विरोध को देखते हुये राज्य सरकार को अपने इस निर्णय को वापस लेना चाहिए तथा सरकारी अस्पतालाों की व्यवस्थाओं को दुरूस्त कर, गरीबों और आम नागरिकों को बेहतर इलाज की सुविधा देना सुनिश्चित करें,जो कि प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है.