विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में बदजुबानी का चलन अब रवायत बनता जा रहा है. अभी आजमगढ़ जिले के जिलाधिकारी की बदजुबानी आप सबने देखी ही कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट रविन्द्र कुमार ने किस तरह से अपने अधीनस्थ बाढ़ प्रखंड में तैनात कर्मचारी को अपनी बदजुबान से सत्कारित किया था. आज हम आपको कुछ ऐसे ही किस्से के बारे में बता रहे हैं.

सूबे के बदजुबान अधिकारी

साल 2018 कीबात है मामला सहारनपुर जिले का है. जहां के तत्कालीन जिलाधिकारी पीके पांडेय ने पंचायत विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान ही एक पंचायत कार्यकारी अधिकारी को धमकाते हुए कहा कि मैं तुम्हारा गला काट दूंगा और उस अधिकारी को भद्दी-भद्दी गालियां दी और धमकी भी दिया था.

इसे भी पढ़ें : यूपी में डॉक्टरों ने बिना अनुमति के ही कर दिया नसबंदी, कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज

अगस्त 2020 में एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ. इसमें अलीगढ़ के तत्कालीन डीएम चंद्रभूषण सिंह ने एक सरकारी चिकित्सक को बहुत धमकाया और गालियां देते हुए कहा कि वहीं रुकना मैं अभी आकर तुझे जूते मारता हूं.

साल 2020 में ही रायबरेली के तत्कालीन डीएम वैभव श्रीवास्तव ने मुख्य चिकत्सा धिकारी को धमकाते हुए उन्हें गधा बताया था, इतना ही नहीं सीएमओ साहब को जमीन में दफन करने तक कि धमकी साहब ने दे दिया था. जिसकी शिकायत मुख्य चिकित्साधिकारी ने विभागाध्यक्ष से कर दिया था.

साल 2020 में ही बस्ती जिले के मुख्य विकास अधिकारी सीएस जयदेव ने सीएमओ को धमकाया. भरी मीटिंग में बेइज्जत किया और गाली दी तो उन्हें माइनर हार्टअटैक आ गया था, डॉक्टर्स के ग्रुप ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था. बाद में जिलाधिकारी आईएएस आंद्रे वामसी ने सीडीओ और सीएमओ में समझौत करवाया तब जाकर मामला शांत हुआ.

इसे भी पढ़ें : चलती बाइक पर इश्कबाजी पड़ी महंगी, नोएडा पुलिस ने काटा तगड़ा चालान; Video Viral

साल 2022 तत्कालीन डीएम पुलकित खरे पर भी कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि वह नियमित समीक्षा बैठकों में गाली-गलौज और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हैं. जिससे नाराज होकर दिसंबर 2022 में मथुरा के 13 ब्लॉक स्वास्थ्य अधिकारीयों ने सामूहिक इस्तीफा शासन को भेज दे दिया था.

अभी कुछ दिनों पहले ही यानी साल 2025 में आजमगढ़ के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार पर अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड अरुण सचदेव ने गंभीर आरोप लगते हुए अपने विभागध्यक्ष को पत्र लिखा और बताया कि डीएम ने कैंप कार्यालय में उनके साथ बदसलूकी की गई। उनको भद्दी गालियां दी गई. जबकि मोबाइल जब्त कर उन्हें लाठी डंडों से पीटकर जिलाधिकारी ने कहा कि देखता हूं तो कहां तक जाता है और मेरा क्या बिगाड़ सकता है.

अब इसे काम का दबाव कहे या चढ़ावा संस्कृति का हावी होना. ये फैसला पाठकों पर छोड़ते हैं.