बलरामपुर। जिले की सड़कों को खूनी सड़क कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। दरअसल यहां की सड़कों के नाम इतनी दुर्घटनाएं हैं की इनपर चलना खतरे से खाली नहीं। भारी और बॉक्साइट से लोड बड़े-बड़े वाहनों सहित तेज रफ़्तार चार पहिया वाहन आये दिन यहां की सड़कों पर मौत बन कर दौड़ रहे हैं, लेकिन इन पर नियंत्रण लगा पाने वाला कोई नहीं है। बीते 07 महीनो में 69 मौतें इन्हीं सड़कों के नाम है।वहीं विगत 2016 में 287 दुर्घटना में 133 लोगो इसी सड़क पर मौत के आगोश में समां गए।

जनवरी 2017 से जुलाई 2017 तक इन्ही सड़कों पर कुल 195 हादसे हो चुके है जिनमे से 69 की मौत हो गई थी तो वहीँ 126 घायल हो चुके है और उनमें से भी कइयों की मौत हो चुकी है। वहीं कई दर्जन कम उम्र के नौजवान और बच्चे दुर्घटनाओं की भेंट चढ़ चुके हैं. जबकि अभी साल के कुछ और दिन भी बचे हैं ऐसे में ये और कितनों की बलि लेतीं है यह बता पाना मुमकिन नहीं।

अंबिकापुर से रामानुजगंज मार्ग में दौड रहे बड़े  हो या छोटे वाहनों की रफ़्तार किसी यमराज से कम नहीं,दिन हो या रात गाडियो की रफ़्तार  कम होने का नाम ही नहीं लेतीं है।यही रफ़्तार हर रोज किसी ना किसी घर का चिराग बुझा दे रही है।लगतार हो रहे सड़क दुर्घटना में लोगो के अंदर डर बना हुआ है वही उनकी माने तो अब सड़क पर चलना कठिन ही नहीं  मुश्किल  हो गया है लोगों को लगता है की कब किस ओर से आ रही गाड़िया मौत का संदेशा ले। कर आ जाये।

सड़क दुर्घटना कम करने के लिये पुलिस विभाग द्वारा समय-समय पर सड़क यातायात जागरूकता अभियान हो या गाडियो की जांच कर सड़क दुर्घटना से बचने के लिये ट्रैफिक नियम को समझाया जाता है। पुलिस विभाग के अधिकारीयो की माने तो ज्यादातर हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है उनमें बाइक सवार अधिक हैं. जो बिना हेलमेट के सफर करते है और शराब का सेवन करते हैं। लेकिन पुलिस के दावों के उलट एक दो को छोड़ दें तो सर फटने से नहीं बल्कि बुरी तरह से कुचले जाने से लोगों की मौतें हुई है।

ओवर लोड वाहनों पर लगाम लगाने में नाकामयाब

ओवरलोड वाहन यहां कि सड़क में बेधड़क दौड़ रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के बावजूद पुलिस ऐसे वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है। बलरामपुर के पुलिस अधीक्षक डीआर अंचला का दावा है कि पुलिस के जागरूकता अभियान की वजह से इस साल हादसों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि सभी थाना प्रभारी को निर्देशित कर दिया गया है कि बेलगाम चल रही गाडियों पर तत्काल कार्यवाही करें।

हालांकि साहब का दावा कितना सही है कितना गलत यह तो आप इन आंकड़ों को देखकर ही समझ सकते हैं कि महज 7 माह में 69 लोगों की मौत हो गई है जबकि अभी आधा साल बीतना बाकी है.