राजकुमार दुबे, भानुप्रतापपुर. कांकेर जिला के भानुप्रतापपुर विशेष सत्र न्यायालय ने मंगलवार को मासूम से दुष्कर्म कर हत्या करने के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई. जिले में किसी आरोपी को फांसी की सजा देने का यह पहला मामला है. आरोपी को फांसी की सजा सुनाए जाने पर मासूम के परिजनों ने खुशी जाहिर की है.

भानुप्रतापपुर विशेष सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एसके टामक ने 4 मार्च 2015 को दुर्गुकोंदल थाना अंतर्गत ग्राम पतरी में एक चार वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में आरोपी मदन लाल टेकाम को फांसी की सजा सुनाई. दुष्कर्म कर हत्या के मामले में पुलिस ने  तत्परता दिखाते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.

यह था मामला 

दुर्गुकोंदल थाना में पतरी गांव के एक निवासी ने चार वर्षीय बालिका के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. मृतका के परिजनों ने शक के आधार पर आरोपी मदन लाल टेकाम का नाम पुलिस अधिकारियों को बताया था. मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी से पुलिस ने सख्ती से जब पूछताछ की तो उसने मासूम से दुष्कर्म कर हत्या की बात स्वीकार्य कर ली थी. आरोपी ने पुलिस को घटना स्थल को पर जाकर बच्ची का शव बरामद कराया. तीन वर्ष तक हुई इस मामले की सुनवाई के बाद मंगलवार को साक्ष्य के आधार पर विशेष न्यायालय नें फांसी की सजा सुनाई.

मेहमान बन कर आया था आरोपी

घटना के दिन आरोपी मृतका के घर मेहमान बन कर आया था. मौका पाते ही चार वर्षीय मासूम को बिस्किट खिलाने के बहाने अपने साथ बहला कर ले गया. आरोपी ने पुलिस को दिए बयान में बलात्कार के बाद बेहोश हुई मासूम की गला दबाकर हत्या करने की बात कबूल की थी. परिजनों ने बताया कि उक्त घटना के दिन व रात काफी तलाश करने के बाद भी जब बच्ची का पता नहीं चल तब थाने में मामला दर्ज कराया था. परिजनों ने बताया कि घर में अंतिम समय मासूम को आरोपी के साथ देखा गया था. जिसके बाद बच्ची को घर से दूर सुनसान जगह ले जाकर घटना को अंजाम दिया था.

कांकेर जिले में फांसी की पहली सजा

भानुप्रतापपुर विशेष सत्र न्यायालय द्वारा मंगलवार को  दुष्कर्म के साथ हत्या के आरोपी को फांसी की सजा  सुनाई जाने पर एक पल के लिए न्यायालय में सन्नाटा पसर गया. अगले ही पल यह खबर न्यायालय परिसर से होते हुए पूरे जिले में फैल गई. लोगों ने दुष्कर्म जैसी घटनाओं पर न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे फैसलें से अपराधियों पर खौफ होगा, घटना को अंजाम देने से पहले अपराधी सोचने पर मजबूर होगा.