रायपुर। रमन सरकार के कार्यकाल में पाठ्य पुस्तक निगम में कुंडली मारकर बैठे तत्कालीन महाप्रबंधक के द्वारा किये गये काले कारनामे रोज़ सामने आ रहे है. पाठ्य पुस्तक निगम को भ्रष्टाचार का सुरक्षित खोल मानने वाले अशोक चतुर्वेदी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. लोकल फंड आडिट की जाँच टीम ने वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में स्वेच्छा अनुदान मद में घोर भ्रष्टाचार एवं षड्यंत्र कर राशि रुपया 98 लाख 88 हज़ार की अनियमित व्यय के संबंध में स्वीकृतकर्ता अधिकारी से वसूली कर निगम की निधि में जमा करने के निर्देश दिये है.

इससे पूर्व तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी के विरुद्ध उनके स्वयं के रिश्तेदार हितेश चौबे की फ़र्म होप इंटरपप्राइजेस सुंदरनगर रायपुर को फ़र्ज़ी दस्तावेज़ो एवं दूषित निविदा के माध्यम से राशि रुपया 6 करोड़ 55 लाख से अधिक का अनियमित भुगतान करने के संबंध में EOW रायपुर में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है. विभागीय स्तर पर भी इस प्रकरण में उनके विरुद्ध आरोप पत्र जारी कर विभागीय जाँच प्रारंभ कर दी गई है.

इसी प्रकार तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक चतुर्वेदी द्वारा महापुरुषों की फ़ोटो छापने के मामले में अपने चहेते ठेकेदारों से साँठगाँठ कर नियम विरुद्ध कार्य करवाया गया. इस मामले में EOW ने अपराध भी दर्ज किया है. इस मामले की शिकायत पर जाँच समिति द्वारा की गई जाँच में इन्हें गंभीर अपराध का दोषी पाया गया. इनके द्वारा भ्रष्टाचार कर शासन को 4 करोड़ 50 लाख की हानि पहुँचाई गई है. जिसकी रिपोर्ट 30/9/20 को प्रस्तुत की जा चुकी है.

इसी प्रकार पूर्व में चतुर्वेदी द्वारा टेक्नो रामराजा एवं प्रगति प्रिंटर्स के साथ साँठगाँठ कर अपने भतीजे अंकित तिवारी भानुप्रतापपुर को इन दागी फ़र्मों का विधिवत पार्टनर बना कर कूटरचित फ़र्ज़ी दस्तावेज़ो के आधार पर इन फ़र्मों का पंजीयन कर 8 करोड़ का काम देकर शासन को क्षति पहुँचाई गई है. चतुर्वेदी द्वारा पापुनि एवं अन्य विभागों में भी दर्जनो अन्य भ्रष्टाचार किया गया है. मामलों में जाँच प्रक्रियाधीन है जल्द ही उन सभी मामलों की जाँच रिपोर्ट भी सामने आ जाएगी.

विनोद तिवारी ने बताया की RTI से प्राप्त जानकारी अनुसार लोकल फंड आडिट जाँच टीम द्वारा स्वीकृतकर्ता अधिकारी से राशि वसूली कर निगम की निधि में जमा करने निर्देश दिये गये है. अशोक चतुर्वेदी के आपराधिक कृत्यों को देखते हुए शासन को हुई हानि की चतुर्वेदी से वसूली की जाने और उन्हें तत्काल शासकीय सेवा से बर्खास्त करने की माँग भी की गई है.