नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022 के लागू होने के साथ ही दिल्ली के तीनों नगर निकायों का 22 मई को एक नगर निगम में विलय हो जाएगा. अधिसूचना में कहा गया है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम जिनमें से हरेक में 104 नगरपालिका वार्ड हैं और पूर्वी दिल्ली नगर निगम, जिसमें 64 वार्ड हैं, को 22 मई से एक नगरीय निकाय दिल्ली नगर निगम माना जाएगा. साल 2012 में दिल्ली में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा तीन नगर निगमों को तीन भागों में विभाजित किया गया था.

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नगरीय निकायों के विलय से बेहतर होगा प्रबंधन और खर्च भी होगा कम

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि संशोधन के अनुसार, केंद्र सरकार नए एकीकृत नागरिक निकाय को चलाने के लिए एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति करेगी, जब तक कि नगर निकाय के चुनाव और निगम की पहली बैठक नहीं हो जाती. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का कार्यकाल जहां बुधवार को समाप्त हो गया, वहीं उत्तरी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली निगमों का कार्यकाल क्रमश: 19 मई और 22 मई को पूरा होगा. अधिकारियों ने यह भी कहा कि एकल, अच्छी तरह से सुसज्जित संस्था राष्ट्रीय राजधानी का बेहतर प्रबंधन करने और खर्च को काफी हद तक कम करने में सक्षम होगी. दिल्ली चुनाव आयोग 8 मार्च को निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा करने वाला था, लेकिन तीन नगर निकायों के एकीकरण के बारे में केंद्र द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद उसने घोषणा को टाल दिया. तीन नगर निकायों को एकजुट करने के विधेयक को 5 अप्रैल को संसद ने मंजूरी दी थी और 18 अप्रैल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की सहमति प्राप्त हुई थी.

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7 अप्रैल 1958 को हुई थी दिल्ली नगर निगम की स्थापना

भारतीय संसद की मंजूरी से 7 अप्रैल 1958 को दिल्ली नगर निगम की स्थापना हुई. पुरानी दिल्ली के टाउन हॉल में इसका मुख्यालय बनाया गया, जिसे इंस्टीट्यूट बिल्डिंग कहा जाता था. उस समय पेयजल और सीवेज, बिजली और परिवहन की जिम्मेदारी दिल्ली नगर निगम के पास होती थी. दिल्ली की पहली महापौर अरुणा आसफ अली चुनी गई थीं. 1993 में दिल्ली नगर निगम संशोधित अधिनियम 1993 में विस्तृत संशोधन किया गया. निगम की संरचना, कार्यों, नियंत्रण व प्रशासन में बदलाव किया गया. पार्षदों की संख्या 124 कर दी गई. 2011 में दिल्ली नगर निगम में संशोधन करते हुए इसे तीन निगमों, उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के रूप में बांट दिया गया. उत्तरी दिल्ली में छह, दक्षिणी निगम में चार और पूर्वी निगम में दो जोन बनाए गए. इस संशोधन के बाद निगम के कई नीतिगत अधिकार दिल्ली सरकार के अधीन आ गए.

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