साध्वियों से दुष्कर्म का आरोपी राम रहीम सुनारिया जेल में 20 साल की सजा काट रहा है. लेकिन उनके अंध भक्त अब भी उसे अपना भगवान मानते है और राम रहीम का 51 वां जन्मदिन 7 दिन बाद धुम-धाम से मनाने की तैयारी कर रहे है.

बड़ी हस्तियों के साथ  बलात्कारी राम रहीम

रायपुर. 15 अगस्त 1967  में राजस्थान के गुरुसर मोडिया में रामरहीम का जन्म हुआ था. पिछले वर्ष अपना 50 वां जन्मदिन मनाने के ठीक 10 दिन बाद 25 अगस्त को साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में सजा हुई थी, जिसके बाद वे जेल में बतौर कैदी नंबर 8647 नाम से जाना जाता है. वहीं दो दिन पहले ही 6 अगस्त को चार सौ साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में विशेष सीबीआई अदालत द्वारा बाबा के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं. मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम, डॉ. महेंद्र इंसा और डॉ. पंकज गर्ग के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी, 326, 417 और 506 के तहत आरोप तय कर दिए. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए डेरा प्रमुख राम रहीम की सुनारिया जेल से पेशी हुई थी. इस मामले में अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी. लेकिन 15 अगस्त को मनाए जाने वाले जन्मदिन की तैयारियां अभी से शुरु हो गई है. उनके अंध भक्त ट्वीटर में  #7DaysToMSGBirthday टैग कर अपनी भावनाएं व्यकत कर रहे है.

बाबा राम रहीम डेरा सच्चा सौदा के तीसरे गुरु हैं. माना जाता है कि पूरी दुनिया में डेरा के 5 करोड़ समर्थक हैं. ये सारे समर्थक राम रहीम की हर बात को मानते हैं. उन्हें पूजते हैं लेकिन कैसे शुरु हुआ बाबा के संतत्व का सफर? कैसे बने वो करोड़ों लोगों के धार्मिक नेता? कैसे बीता बाबा का बचपन?

7 साल की उम्र में सिर पर हाथ

राम रहीम का जन्म एक जाट-सिख परिवार में हुआ. पिता मगहर सिंह जमींदार थे और मां नसीब कौर हाउस वाइफ. नाम रखा गया गुरमीत सिंह. एक आम बच्चे की तरह जिंदगी गुजर रही थी. वही खेल-कूद. वही मान-मनुहार. वो माता-पिता की इकलौती संतान था तो लाड़-प्यार भी भरपूर मिला. लेकिन कहां पता था कि बहुत जल्द इस बच्चे की पूरी दुनिया ही बदल जाने वाली है. वो दिन भी जल्द आ गया.

ढ़ोंगी रामरहीम जब बन गया हीरो… देखे अनोखे रंग

तारीख थी- 31 मार्च 1974. उस समय के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख शाह सतनाम सिंह ने इस बच्चे के सिर पर हाथ रख दिया और उसे अपनी शरण में ले लिया. नाम दिया- गुरमीत राम रहीम सिंह.

1990 में उत्तराधिकारी घोषित

डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 29 अप्रैल 1948 में हुई थी. शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा की स्थापना की. इसके लिए मस्ताना जी ने जगह चुनी हरियाणा का सिरसा. कहा जाता है कि 12 साल तक उन्होंने हजारों-लाखों भक्तों को ध्यान करना सिखाया. मस्ताना जी के बाद गद्दी संभाली सतनाम महाराज ने. सतनाम महाराज ने 90 के दशक की शुरुआत में ही सिरसा के डेरा आश्रम में देश और विदेश के लाखों अनुयायियों को बुलाया. जिनकी मौजूदगी में 23 सितंबर 1990 को एक समारोह में गुरमीत राम रहीम को डेरा सच्चा सौदा की गद्दी सौंप दी गई.