नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगला लोकसभा चुनाव ओडिशा के पुरी से लड़ने की तैयारी में हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी दो जगहों से चुनाव लड़े थे. बनारस और वडोदरा से और दोनों जगहों सो चुनाव जीते. फिर उन्होंने वडोदरा की सीट छोड़ दी और बनारस से सांसद बने रहे. अब उन्होंने फैसला किया है कि वो बनारस के साथ साथ पुरी से भी चुनाव लड़ेंगे. वजह है ओडिशा में होने वाला विधानसभा चुनाव.

ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है, ऐसे में बीजेपी को लगता है कि यदि प्रधानमंत्री मोदी ओडिशा से चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी को फायदा होगा. ओडिशा में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजेडी) और बीजेपी आमने-सामने हैं.

हांलांकि राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में बीजू जनता दल ने सरकार का साथ दिया था मगर उसके लिए जेडीयू के नीतीश कुमार ने नवीन पटनायक से बात कर हरिवंश के लिए सर्मथन मांगा था जिसके लिए नवीन पटनायक तैयार हो गए थे. मगर विधानसभा चुनाव की बात कुछ और है. बीजेपी अपनी पूरी ताकत ओडिशा में झोंकने वाली है क्योंकि त्रिपुरा के बाद बीजेपी को लगता है कि ओडिशा जीता जा सकता है.

नवीन पटनायक 2000 से लेकर अभी तक मुख्यमंत्री हैं और अपनी एक अलग जगह बना चुके हैं. प्रधानमंत्री को लगता है कि बनारस के बाद पुरी जैसे जगह से चुनाव लड़ने पर बीजेपी का हिंदुत्व का ऐजेंडा भी कायम रह जाएगा.

बनारस में हर हर महादेव के बाद पुरी में जय जगन्नाथ की बारी है. बनारस भी मंदिरों का शहर और पुरी भी. कई जानकार मानते हैं कि पुरी से चुनाव लड़ने पर यदि मोदी लोगों को प्रभावित कर पाते हैं तो ओडिशा में बीजेपी की सरकार बनाने में आसानी होगी.