काम कोई भी छोटा या बड़ा नही होता. यदि आप पढ़े लिखे है पैसों के लेन देन को समझतें है तो कही से भी बिजनेस शुरु कर सकते है, कोरोना काल के दौरान में स्थिति ऐसी बनी कि बहुत से पढ़े लिखे लोग खेती की ओर रूख कर रहे हैं. अगर आप भी खेती के जरिए अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आज हम आपको एक ऐसे प्रोडक्ट का नाम बताएंगे, जिसकी साल भर डिमांड बनी रहती है. आज हम आपको बता रहे हैं जीरा की खेती (Cumin Farming) के बारे में..
Cumin Farming (जीरा की खेती) के बारे में जानिए…
संस्कृत में जीरा को जीरक कहते है, जिसका अर्थ है, अन्न के जीर्ण होने में (पचने में) सहायता करने वाला. यदि इसकी उन्नत तरीके से खेती की जाए तो इसका बेहतर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
जीरे की खेती के लिए हल्की और दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. ऐसी मिट्टी में जीरे की खेती आसानी से की जा सकती है. बुआई से पहले यह जरूरी है कि खेत की तैयारी ठीक ढंग से की जाए. इसके लिए खेत को अच्छी तरह जोतकर उसे अच्छी तरह भुरभुरा बना लेनी चाहिए. जिस खेत में जीरे की बुआई करनी है, उस खेत से खरपतवार निकाल कर साफ कर लेना चाहिए.
जीरे की अच्छी किस्मों में तीन वेरायटी का नाम प्रमुख हैं. आरजेड 19 और 209, आरजेड 223 और जीसी 1-2-3 की किस्मों को अच्छा माना जाता है. इन किस्मों के बीज 120-125 दिन में पक जाते हैं, इन किस्मों की औसतन उपज प्रति हेक्टेयर 510 से 530 किलो ग्राम है. लिहाजा इन किस्मों को उगाकर अच्छी कमाई की जा सकती है.
इसे भी देखे – यहां हो रही पीले तरबूज की खेती… किसान खुश, खाने वालों के लिए भी हैं खूब फायदेमंद…
इसे भी देखे -गर्मी में ऐसे उगाए मिल्की मशरुम और कमाए अधिक मुनाफा
जीरे की खेती का तरीका / जीरे की खेती कैसे करें?
जीरे की खेती के लिए सबसे पहले खेत को समतल कर लेना चाहिए. इसके बाद 5 से 8 फीट की क्यारी बनाएं. ध्यान रहे समान आकार की क्यारियां बनानी चाहिए जिससे बुवाई एवं सिंचाई करने में आसानी रहे. इसके बाद 2 किलो बीज प्रति बीघा के हिसाब से लेकर 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम नामक दवा से प्रति किलो बीज को उपचारित करके ही बुवाई करें. बुवाई हमेशा 30 सेमी दूरी से कतारों में करें. कतारों में बुवाई सीड ड्रिल से आसानी से की जा सकती है.
जीरे की खेती से पूर्व जानने वाली महत्वपूर्ण बातें
- जीरे की खेती के लिए उपयुक्त समय नवंबर माह के मध्य का होता है. इस हिसाब से जीरे की बुवाई 1 से लेकर 25 नवंबर के बीच कर देनी चाहिए.
- जीरे की खेती के लिए शुष्क एवं साधारण ठंडी जलवायु सबसे उपयुक्त होती है. बीज पकने की अवस्था पर अपेक्षाकृत गर्म एवं शुष्क मौसम जीरे की अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक होता है.
- जीरे की फसल के लिए वातावरण का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक व 10 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर जीरे के अंकुरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.
- वैसे तो जीरे की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन रेतीली चिकनी बलुई या दोमट मिट्टी जिसमें कार्बनिक पदार्थो की अधिकता व उचित जल निकास हो, इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है.
- जीरे की सिंचाई में फव्वारा विधि का उपयोग सबसे अच्छा रहता है, इससे जीरे की फसल को आवश्यकतानुसार समान मात्रा में पानी पहुंचाता है.
- दाना पकने के समय जीरे में सिंचाई नहीं करनी चाहिए ऐसा करने से बीज हल्का बनता है.
- गत वर्ष जिस खेत में जीरे की बुवाई की गई हो, उस खेत में जीरा नहीं बोए अन्यथा रोगों का प्रकोप अधिक होगा.
देश का 80 फीसदी से अधिक जीरा गुजरात और राजस्थान में उगाया जाता है. राजस्थान में देश के कुल उत्पादन का करीब 28 फीसदी जीरे का उत्पादन होता है. अब बात करें बिजनेस की तो इसके उपज और इससे कमाई की तो जीरे की औसत उपज 7-8 क्विंटल बीज प्रति हेक्टयर हो जाती है. जीरे की खेती में करीब 30,000 से 35,000 रुपये प्रति हेक्टयर खर्च आता है. अगर जीरे की कीमत 100 रुपये प्रति किलो भाव मान कर चलें तो 40000 से 45000 रुपये प्रति हेक्टयर शुद्ध लाभ हासिल किया जा सकता है. ऐसे में अगर 5 एकड़ की खेती में जीरा उगाया जाए तो 2 से सवा दो लाख रुपये की कमाई की जा सकती है.
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां करें क्लिक
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक