अमृतांशी जोशी,भोपाल। मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरी के मामले अधिक आते हैं. अब रंगेहाथ रिश्वत लेते ट्रैप होने वाले अधिकारी-कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली है. ट्रैप होने वाले कर्मचारियों को अब दोहरी जांच का सामना करना पड़ेगा. पकड़ने जाने पर लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू और विभागीय जांच एक साथ होगी. इस मामले में संबंधित विभाग भी जांच शुरू कर सकता है.

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दरअसल दिग्विजय सिंह की सरकार के वक्त यही व्यवस्था लागू थी. अब 23 साल बाद व्यवस्था को फिर बहाल किया गया है. 30 जुलाई 2013 को विभाग ने समानांतर जांच का आदेश निरस्त किया था. राज्य सरकार ने 9 साल पुराने एक आदेश को सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर निरस्त कर दिया था. जिसे अब फिर से लागू किया गया है.

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बता दें कि एमपी में रिश्वतखोरों की भरमार है. आए दिन रिश्वत लेते अधिकारी-कर्मचारी पकड़े जाते हैं. उन पर कार्रवाई भी होती है, फिर भी वो सुधरते नहीं है. किसी न किसी काम के एवज में घूंस लेते रहते हैं. इसलिए अब उन पर ठोस कार्रवाई करने के लिए समानांतर जांच का आदेश को दोबारा लागू किया गया है.

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