रायपुर. प्रदेश सरकार के तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के अधिकारी और कर्मचारी मंहगाई भत्ता को लेकर 28 और 29 जनवरी को राज्यस्तरीय प्रतीकात्मक आंदोलन करेंगे. जहां कर्मचारी और अधिकारी काली पट्टी लगाकर विरोध करेंगे.

बता दें कि प्रदेश सरकार के कर्मचारी-अधिकारी 28 और 29 जनवरी को काली पट्टी लगाकर कार्य संपादित करेंगे. छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर 28 और 29 जनवरी को सामूहिक अवकाश लेकर प्रांतव्यापी 2 दिवसीय आंदोलन करने का निर्णय लिया गया था, इस संबंध में 12 जनवरी को सभी जिला तहसील विकास खंडों से कलेक्टर एवं तहसीलदारों के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी दिया गया था, कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए 28 और 29 जनवरी के आंदोलन को स्थगित करते हुए प्रतीकात्मक आंदोलन के रूप में पूरे प्रदेश में काली पट्टी लगाकर कार्य संपादन करने का निर्णय लिया गया है. प्रदेश के शासकीय सेवक 17% महंगाई भत्ता मिल रहा हैं. वहीं प्रदेश में ही पदस्थ केंद्रीय कर्मचारियों को 31% महंगाई भत्ता मिल रहा है.

तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा ने कहा कि बढ़ते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर निर्धारित मौलिक अधिकार आंदोलन राज्य स्तरीय 28 और 29 जनवरी को किया जाएगा, लेकिन इसमें थोड़ा सा बदलाव किया गया है. अब वह काली पट्टी लगाकर राज्य के लाखों कर्मचारी कर्मचारी अधिकारी विरोध करेंगे और सोशल मीडिया के तमाम माध्यम से आवाज बुलंद करेंगे.

प्रदेश के शासकीय सेवक 14% महंगाई भत्ता से पीछे हैं, जब बाजार एक महंगाई एक शहर एक तब केंद्र और राज्य में महंगाई भत्ता में भेदभाव उचित नहीं है, इसी प्रकार मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार 5 दिवसीय सप्ताह स्वागत योग्य है, दूसरी घोषणा अंशदाई पेंशन योजना के कर्मियों को शासन का अंशदान 10% से बढ़ाकर 14% किया गया है. यह भी सराहनीय कदम है.

वहीं कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि 2004 के बाद नियुक्त शासकीय सेवकों को पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए, यदि शासकीय सेवकों को पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा तो जनप्रतिनिधियों को भी इसका लाभ नहीं मिलना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2004 के बाद नियुक्त प्रधानमंत्री हैं, अमित शाह 2004 के बाद नियुक्त गृह मंत्री हैं, उन्हें केवल 5 वर्ष सेवा करने पर पेंशन पाने के पात्र हो जाते हैं. वही शासकीय सेवक 20-25 वर्ष शासकीय सेवा देने के बाद पेंशन से वंचित हैं, यह उचित नहीं है.

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