संदीप सिंह ठाकुर. लोरमी. तक़दीर की अगर लकीर हाथो में हो तो ये बातें झूठी है,,क्यूंकि तकदीर उनकी भी होती है जिनकी हाथ ही नही होती,, रक्षा बंधन मतलब भाई-बहनों के प्रतिक का त्यौहार,, लेकिन यह त्यौहार इस भाई-बहनो के लिए बेहद ख़ास दिन है,, बहन के द्वारा अपने भाई को राखी पहनाने का ढंग कुछ अलग ही है, यहाँ बहन के हाथ नही होने से पैरो से बाँधी जाती है राखी।

रक्षाबंधन एक ऐसा पावन पर्व है जिसे प्रत्येक धर्म के अनुयायी पूरी श्रद्धा से मनाते हैं। आज के दिन बहने अपने भाइयो की कलाई पर राखी बांधती है।लेकिन एक ऐसी बहन जो अपने भाई की कलाई पर राखी तो बांधती है लेकिन हाथ से नही पैर से। दरअसल मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के डिंडौरी गाँव में रहने वाले अनिल उपाध्याय परिवार की एक ऐसी बिटिया वंदना उपाध्याय जो महज 10 साल की है.

उसकी दोनों हाथ ही नहीं है और कंधो पर ही ऊँगली बन गया है यह कुदरत की ही देन है जिसके कारण वह अपना पूरा काम पैरो से कर लेती है। लेकिन रक्षा बंधन के दिन वंदना अपने भाई को पैरो से कलाई सजाती है, कुदरत ने उसके साथ भले ही अन्याय की हो पर वह अपनी इस कमी को कभी महसूस नही करती, वैसे वंदना पढ़ाई में तो होशियार है उसकी पढ़ाई घर में ही माता पिता के द्वारा कराई जाती है और वह अपने पैरों से लिख लेती है। वंदना का सपना है बड़ा होकर वो डाक्टर बनना चाहती है।

सभी लड़कियों को देखकर वंदना की माता का दिल पसीज जाता है उसकी नटखट अदाए उनके आँखों को नम कर देती है,वंदना की माँ का अरमान होता है की वो भी राखी के त्यौहार में सामान्य लड़कियों की तरह अपने हाथो से अपने भाई की कलाई में राखी बांधकर आशीर्वाद ले पर वो अब ऐसा कर नही सकती।

वंदना की माँ कहती है वंदना की ये जो स्थिति है यह बचपन से है वो इन्हें अपने स्तर से डाक्टर को दिखाकर इलाज कराया है, बतादें आर्टिफीशियल हाथ हो जाए तो वो भी सामान्य लोगों की तरह बन जाए लेकिन परिवार की स्थिति ऐसी नही की वो वंदना का इलाज कराने में सक्षम है इसलिए उन्होंने हमारे माध्यम से प्रशासन से अपनी बेटी का आर्टिफीशियल हाथ लगवाने मांग की है।

राखी की यह अनोखा बंधन जहां सजती है पैरो से कलाई,, बहरहाल 10 साल की वंदना के साथ कुदरत भी ऐसा क्या खेल खेली है उसे राखी को हाथ की बजाए पैर में पहनाना पड़ रहा है साथ ही वंदना की माँ के अरमान कैसे होगी यह आने वाला समय ही बतायेगा।