नई दिल्ली। जामा मस्जिद के पास कबूतर मार्केट में हजारों पक्षियों को अवैध व्यापारियों के चंगुल से बचाया गया है. बचाए गए पक्षियों में वयस्क और तोते के बच्चे, हजारों मुनिया समेत अन्य पक्षी शामिल हैं. दिल्ली पुलिस ने एक शिकायत के आधार पर छापा मारा कि पक्षियों को एक-दूसरे के ऊपर छोटे पिंजरों में और छोटे, अंधेरे, बिना हवादार कमरों में बंद कर दिया गया था, जहां वे हवा और जीने के लिए जरूरी चीजों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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कई पक्षियों की हो गई थी मौत, कई दिनों से सड़ रहे थे शव

छोटे-छोटे गत्ते के बक्सों में एक-दूसरे के ऊपर बेबी पैराकेट्स भरे हुए पाए गए. कई मृत तोते पिंजरों के तार की जाली के बीच और फर्श पर फंसे पाए गए और कुछ शव सड़ने भी लगे थे. पेटा इंडिया ने कहा कि उनके प्रतिनिधियोंने पहले पुलिस को स्थिति के बारे में सतर्क किया और फिर जामा मस्जिद पुलिस स्टेशन में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई. पेटा इंडिया ने कहा कि हमने अनुरोध किया है कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (पीसीए), 1960 और भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की जाए. हमने दिल्ली वन विभाग के साथ एक और शिकायत भी दर्ज की है, जिसमें उन्हें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (डब्ल्यूपीए), 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा गया.

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संरक्षित प्रजातियों से जुड़े अपराध में कम से कम 3 साल की जेल का प्रावधान

पहाड़ी मैना डब्ल्यूपीए की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित हैं और ऐसी संरक्षित प्रजातियों से जुड़े अपराध में कम से कम 3 साल की जेल की सजा हो सकती है, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और कम से कम 10,000 रुपये का जुर्माना भी हो सकता है. अन्य बचाए गए तोते और मुनिया भी डब्ल्यूपीए की अनुसूची 4 के तहत संरक्षित प्रजातियां हैं और उनसे जुड़े अपराध में 3 साल तक की कैद, 25,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.

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प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाएगा पक्षियों को

पक्षी वर्तमान में वन विभाग की हिरासत में हैं और वयस्क तोते, मुनिया और पहाड़ी मैना को पशु चिकित्सक द्वारा जांच के बाद और न्यायालय की अनुमति प्राप्त करने के बाद उनके प्राकृतिक आवास में छोड़े जाने की उम्मीद है. उप वन संरक्षक (उत्तर) के निर्देशानुसार बचाए गए पक्षियों, (जिनमें शिशु और किशोर पक्षी भी शामिल हैं) की देखभाल और प्रबंधन की जिम्मेदारी वन्यजीव एसओएस को दी गई है. पेटा इंडिया की बचाव टीम ने बचाए गए सभी पक्षियों को पुलिस स्टेशन और बाद में वन विभाग के कार्यालय में पाला, खिलाया और पानी पिलाया. पेटा इंडिया के वरिष्ठ वकालत अधिकारी हर्षिल माहेश्वरी ने कहा कि पेटा इंडिया इन पक्षियों को एक उपेक्षित जीवन देने के लिए दिल्ली पुलिस की सराहना करती है और यह दिखाने के लिए कि जानवरों के अवैध उपचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.