कांकेर। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों को दिनभर काम के मात्र 40 रूपये मिलते है.जिसके चलते इन्हें परिवार के भरण पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और यही कारण है की अब इन रसोईयों ने एक जुट होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
दिनभर काम के मात्र 40 रूपये दिये जाने से नाराज कांकेर जिले के रसोइय़ों ने शहर के मिनी स्टेडियम में धरना प्रदर्शन किया. इन रसोइयों को 12 सौ रुपये महीना मानदेय दिया जाता है. रसोइयों का कहना है कि इतने कम पैसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल है. उन्हें 250 रूपये प्रतिदिन की दर से मानदेय दिया जाये. जबकि सरकार रसोइयों को 40 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय का भुगतान करती है. रसोइयों ने कहा कि सरकार हमें मनरेगा के मजदूरों से भी कम राशि दे रहीं है.धरना प्रदर्शन में काफी संख्या में रसोइयों ने हिस्सा लिया और अपनी मांगो को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
रसोइयों के इस विरोध प्रदर्शन के चलते आज कई सरकारी स्कूलों के बच्चों को मध्यान भोजन समय पर नहीं मिल सका. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो उन्होंने हड़ताल के पहले ही स्कूलों मे मध्यान भोजन मुहैया कराने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर ली थी, जिससें स्कूलों में समय पर मध्यान भोजन उपलब्ध कराया जा सके.
गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा साल 1995 में विद्यालयों में दोपहर का भोजन देने की शुरुआत की गई. मध्याह्न भोजन योजना(मिड डे मील) का मुख्य उद्देश्य बड़ी संख्या में बच्चों को स्कूल तक लाना है और उन्हें कुपोषण से सुरक्षित रखना है. रसोइयों की मेहनत के बदौलत ही मीड-डे-मील योजना को अमलीजामा पहनाने का काम किया जाता है.