अजयारविंद नामदेव, शहडोल। ठेकेदार और अधिकरियों की लापरवाही के कारण शहडोल में हजारों क्विंटल धान सड़ गया। धान सड़ने से शासन को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। गेंग्रीन कंपनी को धान उठाव और रख-रखाव का जिम्मा मिला था। कंपनी ने बारिश में भी धान को खुले में रखकर छोड़ दिया। उसे भीगने से बचाने का भी कोई उपाय नहीं किया। भीगने के कारण धान सड़कर बर्बाद हो गई। अब अधिकारी इसे कंपनी की लापरवाही बता रहे हैं। साथ ही खराब हुई धान के भुगतान का आदेश कंपनी को दिया है।
एक तरफ देश का अन्नदाता (किसान) हाड़ तोड़ मेहनत कर फसल उगाते हैं, जिससे सभी नागरिकों को खाना मिल सके। वहीं उनकी मेहनत पर अधिकारी और ठेकेदार पलीता लगाने कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा मामला एमपी के शहडोल जिले से आया है। यहां खुले में रखा हजारों क्विंटल धान भीगने के कारण सड़ गया। धान शहडोल जिले के ओपन कैप में रखा हुआ था। हजारों क्विंटल धान बोरे में रखे- रखे सड़ गई। धान फिर से अंकुरित हो गए हैं। वहीं ठेकेदार की लापरवाही का नतीजा शसान को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
शहडोल में इस साल 14 लाख क्विंटल धान खरीदी हुई
शहडोल जिले में इस साल लगभग 14 लाख क्विंटल की धान की खरीदी हुई है। यही वजह है कि जिले के कुछ कच्चे ओपन कैब में रखी हजारों क्विंटल धान गेंग्रीन कंपनी ठेकेदार की लापरवाही की भेंट चढ़ गई। चन्नौड़ी हथगला और अमलाई सहित अन्य ओपन कैब में रखी धान बारिश के कारण बोरियों में रखी हजारों क्विंटल धान बोरे में रखे- रखे सड़ गई। धान एक बार फिर अंकुरित हो उठे है। आलम ये है कि ये धान जानवरों के खाने लायक भी नहीं बचा है।
गेंग्रीन कंपनी ठेकेदार की लापरवाही आई सामने
बता दें कि शहड़ोल जिले में धान रख रखाव का जिम्मा गेंग्रीन कंपनी ठेकेदार को मिला है। वहीं कंपनी की लापरवाही का नतीजा ओपन कैब में संग्रहित कर रखे धान में से अनेक बोरे धान सड़ चुका है। सड़े बोरे मैदान में बिखरे पड़े हैं। यहां तक कि कुछ स्थानों पर तो बोरों के ऊपर फफूंद भी साफ तौर पर दिखाई पड़ रहा है। गोदामों में भरे धान का एक बड़ा हिस्सा गोदामों में ही सड़ गया। सड़े धान की दुर्गंध इतनी तेज उठ रही है कि वहां खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा है। बहरहाल मामला चाहे जो भी हो लेकिन किसानों के खून पीसने की मेहनत का अनाज इस तरह से सड़ गया।
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कंपनी से होगी नुकसान की भरपाई
मामले में शाखा प्रबंधक बुढार ब्रांच सुधा रघु ने कहा कि हजारों क्विंटल धान खराब हो गया है। इसके लिए गेंग्रीन कंपनी ठेकेदार को मौखिक और लिखित पत्र जारी कर धान भरवा कर उसका भुगतान करने के लिए कहा गया है।
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