सुशील सलाम, कांकेर। केन्द्र के तीन नए कृषि कानून के विरोध में दिल्ली की सीमा में हजारों-लाखों की संख्या में किसान धरना दे रहे है। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा क्षेत्र में 103 ग्राम पंचायतों के हजारों आदिवासी भी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के ये आदिवासी कृषि कानून के विरोध में नहीं बल्कि इलाके में बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में राशन पानी सहित धरने पर बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कड़काघाट और तुमिरघाट में बीएसएफ कैंप खोला गया है वो आदिवासियों का देव स्थल है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना, उद्योगपतियों को लाभ पहुंचने के लिए ये कैंप खोले जा रहे हैं।
सर्व आदिवासी समाज के अलावा एसटी, एससी, ओबीसी समाज के लोग भी धरना दे रहे हैं। आंदोलनकारी राशन पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर पहुंचे हैं। उनका कहना है जब तक कैंप नहीं हटाया जाएगा उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।
दरअसल सरकार जिले के कुछ इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के तहत फोर्स की तैनाती बढ़ा रही है। जिसके तहत कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं। जिसमें कड़काघाट और तुमिरघाट भी शामिल है। बीएसएफ कैंप खुले महज 15 दिन ही हुए हैं लेकिन अब इसका विरोध शुरू हो गया है।
तुमिरघाट में करीब 18 पंचायत के ग्रामीण और कड़काघाट में 85 ग्राम पंचायत सहित करीब 15 सौ की संख्या में ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं। जिसमें अबूझमाड़ के ग्रामीण भी शामिल हैं। सभी आदिवासी अपने साथ खाने-पीने के लिए राशन पानी सहित अन्य जरुरी सामान लेकर पहुंचे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की ओर से उक्त स्थान जो कि देव स्थल है, जहां उनके देवी देवता निवास करते हैं, वहां कैंप खोला गया है। कैंप खोले जाने के पहले ग्राम पंचायत, ग्राम गायता, पटेल से इस बारे में बिना चर्चा और अनुमति के कैंप खोला गया है। ग्रामीणों का कहना है कि कैंप की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है। यह जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचाने की साजिश है। यह जल, जंगल, जमीन उनकी हैष कैंप बैठाकर लौह अयस्क निकाल कर अत्याचार करने की साजिश है। ताकि सुरक्षा व्यवस्था के जरिए लौह अयस्क निकालकर उद्योगपतियों को लोहा पहुंचाया जा सके।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी दुर्गुकोंदल, रावघाट सहित अन्य जगहों पर लौह अयस्क खदान खोले गए हैं। जिसमें आम ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा है, केवल यहां के ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने बीएसएफ कैंप खोले जाने की सूचना मिलने पर प्रतापतापुर में आंदोलन रैली की थी। जिसके जरिए कैंप खोलने जाने का विरोध करते हुए प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया था। इस संबंध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंप कर इसका विरोध जताया था। जिस पर राज्यपाल ने जांच कराए जाने का आश्वासन दिया था।