नई दिल्ली. लोकसभा में छत्तीसगढ़ के कांकेर क्षेत्र के सांसद विक्रम उसेंडी ने चिकित्सकों की कमी एवं त्रि-वर्षीय चिकित्सकों की सेवाओं की ओर सरकार का ध्यान खींचा और उस विषय पर लेकर लोकसभा में आज सबसे पहला सवाल उठाया.
छत्तीसगढ़ से लोकसभा के सदस्य का पहला सवाल जिस पर राज्यमंत्री श्रीपाद येसो नाइक ने अपने उत्तर में कहा कि सदस्य जिन तीन वर्षीय पाठ्यक्रम वाले डॉक्टरों की सेवा की बात कह रहे हैं उसे मेडिकल काउंसिल ने आमान्य कर दिया है. इसलिए ऐसे डॉक्टरों की सेवा नहीं ली जा सकती. सदस्य डॉक्टरों की कमी की ओर ध्यान खींच रहे हैं. सरकार इसे स्वीकार करती है पर हम डॉक्टरों की व्यवस्था के लिए प्रयासरत हैं.
राज्यमंत्री ने सदन में कहा कि सांसद जिस पाठ्यक्रम की बात कर रहे हैं उसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने मान्यता नहीं दी है. इसलिए इनसे सेवा लेने का सवाल ही नहीं उठता. हमने नेशनल हेल्थ मिशन के तहत 27 हजार डॉक्टरों की भर्ती की है. साथ ही 7 लाख डॉक्टर पहले ही हैं. इनकी सेवा लेने से डॉक्टरों की कमी की समस्या नहीं होगी. यदि त्रि-वर्षीय पाठ्यक्रम को केन्द्र सरकार मान्यता दे दी है तो ऐसे डॉक्टरों की सेवा लेने में हमे कोई परहेज नहीं है. क्योंकि कौंसिल ने इस पाठ्यक्रम को मान्य नहीं किया है इसलिए हम इस सेवा में उन्हें नहीं रख रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के समय राज्य की प्रथम सरकार ने डॉक्टरों की कमी को ध्यान में रखते हुए यह कोर्स चालू किया था जिसके अंतर्गत हजारों की संख्या में त्रि-वर्षीय पाठ्यक्रम वाले डॉक्टर तैयार हो गए, अब वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और इस मुद्दे पर उक्त डॉक्टर समय-समय पर आंदोलन भी करते रहे हैं.
विक्रम उसेण्डी ने अपने तारांकित प्रश्न के माध्यम से जानना चाहा कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में ऐसे छात्रों की संख्या कितनी है जिन्होंने वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में तीन वर्षीय चिकित्सा पाठ्यक्रम पूरा किया है. क्या सरकार ने उक्त पाठ्यक्रम को मान्यता प्रदान की है? क्या सरकार ऐसे छात्रों को ज्ञान का उपयोग उन अस्पतालों में करने की कोई योजना बना रही है जहां डॉक्टरों की कमी है और यदि हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है.
आयुष राज्य मंत्री श्रपाद येसो नाइक ने बताया कि छत्तीसगढ़ सहित देश में कहीं भी केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वैकल्पिक चिकत्सा पद्धति में 3 वर्ष का ऐसा कोई चिकित्सा पाठ्यक्रम नहीं है. केंद्रीय सरकार ने एलोपैथी, आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों को मान्यता दी है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एलोपैथी चिकित्सा पद्धति संबंधी कार्य देखता है और आयुष मंत्रालय आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा और यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिम्पा और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों संबंध कार्य देखता है. केंद्र सरकार केवल मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धतियों से संबंधित पाठ्यक्रमों को मान्यता प्रदान करती है.