लखनऊ. यूपी विधानसभा मानसून सत्र का चौथे दिन गुरुवार को इतिहास में यादगार दिन होगा. यूपी विधानमंडल के इतिहास में पहली बार आज दोनों सदनों की कार्यवाई महिला विधायकों के नाम रहेगी. उस दिन सदन में सिर्फ महिला विधायक बोलेंगी. महिलाओं के मुद्दे उठेंगे. प्रश्नकाल के बाद सदन में सिर्फ महिला विधायकों को बोलने का मौका दिया जाएगा. हालांकि उस दिन सदन में सभी विधायक मौजूद रहेंगे.

बता दें कि आजादी के बाद यूपी विधानमंडल के दोनों सदनों में महिला विधायकों को खुलकर अपनी बात रखने का यह पहला मौका है. यूपी विधानसभा में इस बार सबसे ज्यादा 47 महिला विधायक हैं. इससे पहले इतनी बड़ी संख्या में महिला विधायक चुनाव जीत कर विधानसभा नहीं पहुंची थी. यही वजह है कि यूपी की राजनीति में महिला विधायकों को स्पीकर, सभापति, दलों की नेता और संसदीय कार्य मंत्री बनाने में किसी भी राजनीतिक दल ने कभी कोई पहल नहीं की. जबकि दो महिला मुख्यमंत्रियों ने यूपी की सत्ता संभाली. इस विधानसभा में कांग्रेस ने अपना नेता महिला विधायक बनाकर इस दिशा में पहल की तो अब भाजपा के सीनियर नेता रहे और वर्तमान में विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पूरे एक दिन सदन की कार्यवाही महिला विधायकों के नाम करने का फैसला ले लिया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस कदम की सराहना की है. सीएम योगी ने 22 सितंबर को महिलाओं को ही पीठासीन अधिकारी बनाए जाने का अनुरोध किया है. यूपी विधानसभा के इतिहास को देखे तो अब तक विधानसभा में 28 नेता विरोधी दल बनाए जा चुके हैं. पर किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी महिला विधायक को नेता विरोधी दल नहीं बनाया. यहीं नहीं विधान परिषद में भी 20 नेता विरोधी दल बने लेकिन उनमें भी महिला विधायकों को जगह नहीं मिली.