बीजेपी के रसूखदारों का सीमेंट प्रेम
बीते कुछ महीनों से बीजेपी के रसूखदार नेताओं का सीमेंट कारोबार के प्रति अचानक बढ़ गया है। यकीन मानिए कई दिग्गज बारी-बारी इस कारोबार में उतर रहे हैं। ये सभी सीधे तौर पर नहीं, बल्कि परिजनों, मित्रों, समर्थकों और भाई-भतीजों के जरिए इस कारोबार में कूद रहे हैं। प्रदेश के हर कोने में आप सीमेंट के नए कारोबारियों के नाम तलाशेंगे तो उसमें बड़ी तादाद बीजेपी नेताओं के परिवार की ही नजर आएगी। भले ही इस कारोबार को शुरू करने के लिए बड़ा इनवेस्टमेंट ज़रूरी होता है, लेकिन ‘सैंया भये कोतवाल’ वाली कहावत के इस्तेमाल करके सब कुछ साधा जा सकता है। वैसे, इस कारोबार में सामान्य तौर पर कोई काला-पीला नजर नहीं आएगा,लेकिन डिस्ट्रीब्यूटरशिप या एजेंसी लेकर पूरा माल ठेकेदारों के ज़रिए खपाया जा सकता है। फिर इस कारोबार में फायदे का जितना मार्जिन है उससे सपने बेहद जल्दी पूरे किए जा सकते हैं। बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद के पुत्र ने सबसे पहले इस कारोबार की शुरूआत की थी। इसके बाद कई कद्दावर मंत्री और दिग्गजों के परिजन ने इस कारोबार में उतरे। अब ग्वालियर-चंबल संभाग में एक कद्दावर नेता ने इसी गंगा में डुबकी लगाई है और कमान अपने चहेते चेले के हाथ में दी है। मामला इन्हीं तक सीमित नहीं है, बड़ी तादाद में दूसरे दिग्गज अपने करीबियों के ज़रिए इस कारोबार में कूद रहे हैं। ये बात अलग है कि सीमेंट कंपनियों के मालिक और सप्लायर्स इन सबको लेकर सिर पकड़ कर बैठे हैं।
मालवा-चंबल की दो नेत्रियों के जलवे
मालवा और चंबल की दो कांग्रेस नेत्रियों के इन दिनों जलवे अफरोज़ हैं। ये दोनों नेत्रियों सुर्खियों में रहने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। अपनी दबंग इमेज और सक्रियता के जरिए इनके नाम अक्सर चर्चाओं में आ जाते हैं। खास बात यह है कि कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता इन दोनों नेत्रियों को इग्नोर नहीं कर सकता है। प्रदेश कांग्रेस के दोनों बड़े नेताओं के यहां दोनों मैडम की सीधी एंट्री है। पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी के अंदर कुछ घटनाक्रम भी ऐसे हुए हैं, जहां बड़े नेताओं ने दोनों मैडमों की मंशा का सम्मान किया है। इन नेताओं के जलवे से इलाके के दूसरे नेताओं के खतरा ज़रूर पैदा हो गया है। दरअसल, मैडम लोगों की मर्जी से कुछ ऐसे फैसले भी हो रहे हैं, जिससे दूसरे पुरुष दिग्गजों को बड़ा सियासी नुकसान झेलना पड़ गया है। चुनाव का वक्त आते-आते यदि इन नेत्रियों के जलवे ऐसे ही रहे तो पुरुष नेताओं के वर्चस्व पर खतरा हो सकता है। भविष्य का तो कुछ कह नहीं सकते हैं, लेकिन पुरुष नेतागिरी को नुकसान का सिलसिला शुरू हो चुका है।
एसोसिएशन बचा ले गया दो अफसर
मई 2021 को हुए विमान हादसे के मामले में हुई जांच में बड़े अफसरों का एसोसिएशन दो अफसरों को पूरी तरह बचा ले गया है। इस हादसे की जांच रिपोर्ट में दो आईएएस अफसरों से हुई गलतियों का कहीं भी ज़िक्र नहीं किया गया है। जांच रिपोर्ट में दोनों अफसर हादसे के शिकार हुए विमान के इंश्योरेंस समेत अन्य मामलों को लेकर पूरी तरह जिम्मेदार थे। लेकिन जांच रिपोर्ट का ड्राफ्ट इस तरह तैयार किया गया कि डिपार्टमेंट से जुड़े दोनों जिम्मेदार अफसरों के दामन पर दाग नहीं पहुंच सका। बताया जा रहा है कि इस ‘सुधार ऑपरेशन’ के लिए तीन आला अफसरों ने ऊपर से नीचे तक बड़ी मेहनत की थी। अब रिपोर्ट फाइल कर दी गई है और ठीकरा अन्य मातहतों के मत्थे फोड़ दिया गया है। बता दें कि जांच में बेदाग निकाले गए एक अफसर कांग्रेस शासनकाल में नगर निगम के कमिश्नर रह चुके हैं और दूसरे अफसर हमेशा से ही बड़े अफसरों के चहेते रहे हैं।
चर्चाओं में जयपुर की शाही शादी
सियासी गलियारों में बीते दिनों हुआ एक वैवाहिक आयोजन बड़ी चर्चाएं बटोर रहा हैं। मंत्रालय के अफसरों समेत बीजेपी और संघ के नेताओं के बीच इस वैवाहिक आयोजन के चर्चे हैं। ये विवाह आयोजन हुआ तो जयपुर में था, लेकिन एमपी के प्रभावशाली लोगों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। ये विवाह आयोजन एमपी के जल संसाधन विभाग के एक बड़े ठेकेदार के परिवार में संपन्न हुआ। विवाह में किए गए तमाम प्रबंध इसे शाही अंदाज़ का दर्जा दे रहे थे। इस आयोजन में बीजेपी और संघ से जुड़े कई छोटे-बड़े लोगों ने शिरकत की। कुछ आमतौर पर पर्दे के पीछे रहते हैं, तो कुछ खुलकर पर्दे के बाहर काम करते हैं। अफसरों ने भी इस आयोजन का लुत्फ उठाया। आयोजन की भव्यता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें रुपहले पर्दे के सिंगर्स यहां स्टेज पर परफारमेंस दे रहे थे। बीजेपी-संघ और एमपी के अफसर जैसे आगंतुक पूरे वक्त इन गायकों के रैप का लुत्फ उठाते रहे। जो अफसर या नेता इस आयोजन में शिरकत नहीं कर सके, उनकी महफिलों में इस शादी की चर्चाएं जमकर की जा रही हैं। इसमें ये मुद्दा खास रहता है कि आयोजन में एमपी से शरीक कौन-कौन हुआ। इससे कुछ लोग ठेकेदार साहब की सरकार-संघ और संगठन में पैठ का अंदाज़ा लगा रहे हैं और कुछ इस पूरे काकस को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
जायका बीजेपी वाली आइसक्रीम का
पुलिस वाहन के सायरन और पुलिस वालों की व्हिसिल सुनकर जब सारे बाज़ार जब बंद हो जाता हैं और कारोबारी घर पर कंबल ओढ़कर सो जाते हैं, उस रात के 1 बजे के वक्त भी यदि कहीं रौनक अफरोज़ रहती है तो वह है लिंक रोड पर नामी पेट्रोल पंप के करीब बना आइसक्रीम का नया ठिकाना। शुरुआत में पुलिस सख्ती की कोशिश की गई लेकिन ठिकाने के पीछे के चेहरे की वजह से छूट का लाइसेंस मिल गया। दरअसल, मामला एक बीजेपी नेता के भतीजे से जुड़ा है। अब पुलिस वाले एडिशनल साहब भी गश्त पर निकलते हैं तो उनकी गाड़ी भी इसी ठिकाने पर ठिठक जाती है। एक महंगी आइसक्रीम का लुत्फ उठाकर गश्त फिर शुरू हो जाती है। जलवे देखकर अब ये ठिकाना बीजेपी वाली आइसक्रीम के नाम से मशहूर होने लगी है। धन्ना सेठों के पब्स के बाद ये नया ठिकाना है जहां देर रात तक महफिलें जम रही हैं। हिदायत केवल इतनी है कि सड़क पर भीड़ नहीं दिखाई दे। बाकी सब जायज़ है। बसंत के बाद ठण्ड का असर कम हो तो हलक को ठण्डक देने वाली आइसक्रीम के लिए इस ठिकाने पर गौर ज़रूर फरमाइएगा।
दुमछल्ला…
बीजेपी के रसूखदार परिवार के अंदरूनी कलह बाहर आने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। दरअसल, विवादों में पड़े नेताजी को लेकर चर्चाएं थीं कि ओबीसी की वजह से एमपी में किस्मत चमक सकती हैं। लेकिन दिल्ली में हुई दो दिग्गजों की एक मुलाकात के बाद समीकरण बदल गए और अंदर के विवाद बाहर आ गए। सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं कि सियासी रणनीतिकारों ने बड़ी सफाई से एक बड़ा विकेट चटका दिया है।
(संदीप भम्मरकर की कलम से)
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