न्यामुद्दीन अली,अनूपपुर। जीते जी लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है, लेकिन मरने के बाद मुर्दों को सिस्टम न्याय दे रहा है. मध्यप्रदेश के अनूपपुर में ठीक ऐसा ही हुआ है. एक साल बाद मुर्दे को न्याय मिला है. दरअसल एक साल पहले एक व्यक्ति ने महिला और पुरुष की प्रताड़ना से तंग आकर मौत को गले लगा लिया था. आत्महत्या के पहले एक सुसाइट नोट के माध्यम से न्याय की मांग की थी. जिसके एक साल बीत जाने के बाद मृतक को न्याय मिला है.

पूरा मामला अनूपपुर जिले के देवहरा चौकी क्षेत्र के ग्राम धिरौल का है. जहां सेवानिवृत्त कॉलरी कर्मचारी हेमराज जायसवाल ने 16 जनवरी 2020 को अपने ही घर के बाड़ी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, तो वही दुराचार के मामले में फर्जी तरीके से फंसाने और पैसों की मांग करने वाली महिला अभी भी फरार है. जिसकी पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है.

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पुलिस को जिस वक्त हेमराज फांसी पर लटकता मिला था, उसके जेब से एक सुसाइड नोट मिला था. सुसाइड नोट में आत्महत्या का कारण देवकी जायसवाल और संतोष सिंह चंदेल पर 2 लाख रूपए की मांग करने और झूठे दुष्कर्म के मामला फंसाने की धमकी दी थी. जिससे प्रताड़ित होकर उसने आत्महत्या कर ली थी. पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और परिजनों से पूछताछ भी की.

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परिजनों ने बताया था कि देवकी जायसवाल दो लाख रूपये की मांग कर रहा था. नहीं देने पर दुष्कर्म के झूठे प्रकरण में फंसाने और संतोष सिंह चंदेल से हत्या करा देने की धमकी देता था. आए दिन अलग-अलग नंबरों से आरोपी संतोष सिंह चंदेल और देवकी जायसवाल पैसे की मांग करते थे. जिससे प्रताड़ित होकर हेमराज जायसवाल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था.

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हेमराज के पैंट के जेब से मिले सुसाइड नोट की हेडराईटिंग मिलाने के लिए राज्य परीक्षक प्रश्नास्पद प्रलेख जहांगीराबाद भोपाल भेजा गया था. जिसकी जांच रिपोर्ट के अनुसार सुसाइट नोट की राईटिंग और हस्ताक्षर हेमराज के राईटिंग एक ही होना बताया गया. पुलिस ने पूरे मामले की जांच करते हुए दो आरोपियों देवकी जायसवाल और संतोष सिंह चंदेल दोनों निवासी ग्राम धिरौल के खिलाफ धारा 306, 34 के तहत मामला पंजीबद्ध करते हुए संतोष सिंह चंदेल को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि देवकी जायसवाल अभी भी फरार हैं. जिसकी पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है.

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