नेताजी का सोसायटी में दखल
नेताजी ने एक सोसायटी में दखल देने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया है। ये हाउसिंग सोसायटी होशंगाबाद रोड स्थित एक पॉश कॉलोनी कही जाती है। कई प्रभावशाली और इज्जतदार लोग इसमें परिवार के साथ सुकून से रहते हैं। सोसायटी के इलेक्शन महज़ एक औपचारिकता भर माने जाते हैं। लेकिन इस बार नेताजी ने इसमें वैसा ही दखल दिया, जितना किसी विधानसभा-लोकसभा के इलेक्शन में दिया जाता है। भरसक रणनीति बनाने के अलावा कॉलोनी के रहवासी वोटरों को पर्सनली फोन पर बातचीत भी की गई। मंशा केवल इतनी थी कि इसी सोसायटी में रहने वाले नेताजी के एक समर्थक ने इस चुनाव को जीतना अपनी साख का सवाल बना लिया था। दरअसल, समर्थकजी का सोसायटी में ही विरोध हो गया था। बस समर्थकजी ने ऐड़ीचोटी का जोर लगा दिया और मैदान में बीजेपी के दिग्गज नेता भी कूद गए। प्रदेश मुख्यालय समेत भोपाल के लोकल लीडर नेताजी की सक्रियता पर चर्चा ज़रूर कर रहे हैं, लेकिन नेताजी भोपाल के करीबी जिले की राजनीति में ही भरोसा करते हैं, भोपाल की पॉलिटिक्स में उनका इंटरेस्ट कतई नहीं है।

नहीं मिले दिल, फिर अदावत
पहले विरोधी दल में थे, इसलिए अदावत की वजह थी। कभी सियासी वजहों से गलबहियां ज़रूर हो जाती थीं, लेकिन दिल नहीं मिले। फिर प्रदेश की सियासी तूफान में ऐसा उलटफेर हुआ कि दोनों एक ही दल में आ गए। सियासी तस्वीरें को ऐसे एंगल से खींचा गया कि सबको नजर आए कि दिल मिल चुके हैं। एक दूसरे के खिलाफ काम नहीं किया जाएगा। लेकिन फिर आ गए पंचायत और निकाय चुनाव। बस, दोनों नेताओं की समर्थकों की वजह से शमशीरें तन गईं। समर्थकों को कुर्सी देने के लिए ताने-बाने कसे जाने लगे तो फिर पदों में फिफ्टी-फिफ्टी का ज़ुबानी करार भी करवाया गया। नेताजी को ऐसा झटका दिया गया कि मुस्कुराहट काफूर हो गई। अपना गुस्सा भी ज़ाहिर नहीं किया जा सका है। लेकिन मैडम भी चंबल वाली हैं, ठप्पे के साथ ये मैसेज दिया। बाकी बस अब यहां की राजनीति में आने वाले बवाल का इंतज़ार कर रहे हैं।

IPS के मकान के लिए रेत की जुगाड़
साहब का मकान बन रहा है। रातीबड़ के जिस जगह पर आलीशान मकान बन रहा है, वहां निर्माण सामग्री की कोई कमी नहीं आने दी जा रही है। बाकायदा पूरी एक टीम काम कर रही है। अलग-अलग साजो सामान का ज़िक्र हम फिर करेंगे, लेकिन फिलहाल रेत की जुगाड़ का सीक्रेट खोल देते हैं। दरअसल, इसी इलाके में रेत के से वैध-अवैध परिवहन का मार्ग है। जब-जब रिक्वायरमेंट होती है, तब-तब छापेमारी कर धरपकड़ हो जाती है। दो-चार ट्रक का रुख निर्माणाधीन साइट की तरफ करा दिया जाता है। सिलसिला तेजी से चल रहा है। साहब की पोस्टिंग पीएचक्यू में है, इसलिए जुगाड़ को पूरी करने के लिए अलग-अलग अधिकारी स्वमेव दिलचस्पी दिखा रहे हैं। फिलहाल हुई रेत की बात आगे के हफ्तों में अन्य सामग्रियों की जानकारी भी देते रहेंगे।

भोपाल का ये थाना है प्रापर्टी वाला
महिला थाना, अजाक थाना जैसे थानों का ज़िक्र तो सरकारी फाइलों में खुलकर लिया जाता है। लेकिन एक थाने का ज़िक्र प्रापर्टी विवाद के लिए किया जाने लगा है। पिछले कुछ महीनों में यहां प्रापर्टी संबंधित विवादों की कायमी की गईं हैं। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि मौका-ए-वारदात भी इस थाना क्षेत्र की सीमा में नहीं है। लेकिन सीमा विवाद में आपस में ही लड़ने-झगड़ने वाली पुलिस प्रॉपर्टी संबंधी मामलों में कायमी करने में झटपट काम दिखाती है। अब यह ज़रूर बता दें कि यह सब संयोग नहीं है। बल्कि थाने के साहब की दिलचस्पी की वजह से है। साहब खुद ही दिलचस्पी लेते हैं, इसलिए अब प्रॉपर्टी विवाद में फंसे बड़े लोग फरियाद दर्ज कराने खुद इस थाने के साहब से संपर्क करने लग जाते हैं। गारंटी इस बात की है कि चूना किसी को नहीं लगेगा।

आखिरी 72 घंटे के लिए ‘चाणक्य नीति’
अभी-अभी ही कांग्रेस के साब ने एक ऐसी एजेंसी से मुलाकात की है, जो चुनाव के आखिरी 72 घंटे के लिए बीजेपी की रणनीति तोड़ने का दावा कर रही है। शुरूआती बातचीत के बाद मुलाकात के सार्थक रहने की सूचना अय्यारों ने दी है। साब अक्सर कहते हैं कि कांग्रेस आखिरी के तीन दिनों में बीजेपी की रणनीति की वजह से हार जाती है। विधानसभा चुनाव में ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए किसी कारगर चाणक्य नीति की दरकार लंबे अर्से से समझी जा रही थी। साब की तैयारियां बताती हैं कि शायद अब वे सीरियसली इस पर काम करने लगे हैं और किसी नतीजे पर पहुंच गए हैं। इधर, चुनाव में केवल ‘रिजल्ट’ पर यकीन रखने वाली बीजेपी ने अब तक जो तरकीबें अपनाई हैं, उसमें कांग्रेस को पटखनी ही मिली है। निकाय और जिला पंचायत के इलेक्शन में बीजेपी ने कांग्रेस को हर जगह अलग-अलग तजुर्बे कराए हैं। दोनों तरफ की तैयारियों के लिहाज से विधानसभा चुनाव के दिलचस्प होने के पूरे आसार हैं।

दुमछल्ला…
EOW के छापे के बाद अकूत कमाई के ‘हीरो’ साबित हीरो केसवानी पर अब इनकम टैक्स ने फाइलें खोल दी हैं। बारीकी से पूछताछ करके लिस्ट तैयार की जा रही है। अय्यार बता रहे हैं कि EOW की जांच में अकूत धनराशि के नतीजों तक तो पहुंच गई। लेकिन आयकर विभाग के जांच अफसर इसके आगे की तैयारी में है। वह उन लोगों की लिस्ट बनाना चाहती है कि किन आय के स्रोत क्या थे और खुल्लमखुल्ला हाईप्रोफाइल लाइफ स्टाइल वाले हौंसलों के पीछे कौन-कौन सी ताकतें है। आज के जमाने में काले कारनामें वाले भी जब हिसाब-किताब को दुरुस्त रखने पर ध्यान देते हैं, तब हीरो के मामले में इतनी लापरवाही कैसे। बहरहाल, लिस्ट तैयार हो रही है तो ज्यादा दिनों तक सीक्रेट नहीं रहेगी।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)

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