लांचिंग से मंत्रालय में टेंशन
कौन सी बड़ी बात है कि बीते दिनों विदिशा जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर फाइव-जी नेटवर्क सेवा की शुरुआत हुई। भई यह तो होता ही रहता है। इसमें दिलचस्प बात यह है कि सब कुछ बड़े ही गुपचुप तरीके से हुआ। केंद्र में तैनात एक अफसर ने यहां पहुंचकर बीएसएनएल के 5-जी प्लान की शुरुआत कर दी। लोकल अमले को केवल जानकारी दी गई। हैरत में आए मंत्रालय के अफसर जब पूरा माजरा पता लगा। दरअसल, केंद्र के एक सीक्रेट प्लान के तहत केंद्र में तैनात हर अफसर को किसी न किसी जिले की जिम्मेदारी दी गई है। ये अफसर यहां हर सरकारी योजना की पैनी निगरानी करते हैं और अपनी रिपोर्ट सीधे पीएमओ को पहुंचाते हैं। अब मंत्रालय के अफसर टेंशन में है कि इससे उनके कामकाज का लेखाजोखा भी पीएमओ की नजर में आ रहा है। मोदी के मॉनीटरिंग सिस्टम के जरिए न जाने कौन सी रिपोर्ट किस अंदाज में पेश की जा रही है। केंद्र के अफसर किसी न किसी बहाने से अपने प्रभार के जिले में पहुंचते हैं और जानकारी कलेक्टर करके रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

गवर्नर हाउस में स्पेशल सेल
गवर्नर हाउस में आदिवासियों को लेकर एक स्पेशल सेल ने काम करना शुरू कर दिया है। इस स्पेशल सेल में काम करने वाले अफसरों को किसी न किसी पोस्ट पर बैठाकर राजभवन भेजा जा रहा है। हाल ही में एक आदिवासी अफसर की तैनाती भी की गई है। ये अफसर ट्राइबल स्कीम्स के एक्सपर्ट माने जाते हैं। इसी तरह इस सेल में कुछ पूर्व अफसरों को भी जोड़ा गया है। दरअसल, महामहिम ने एमपी में आते ही आदिवासियों के लिए जमकर काम करना शुरू कर दिया था। वे इस तबके को लेकर अत्यंत संवेदनशील रहते हैं। आदिवासी इलाकों की निगरानी और स्पेशल ट्रीटमेंट के लिए एक खास सेल भी गठित कर दिया है। यहां से जमकर काम किया जा रहा है। यही नहीं, गवर्नर साहब इतने संवेदनशील हैं कि फील्ड पर जाने का मौका भी नहीं छोड़ते हैं। उन्होंने अधिकांश जिलों में दस्तक दे दी है। कमी पेशी को सेल के जरिए पूरा करने के निर्देश दे रहे हैं। प्रॉपर फीडबैक भी लिया जा रहा है। आदिवासी महकमे के अफसरों के साथ बैठक के साथ-साथ सीधे दिल्ली से तालमेल भी बैठाया जा रहा है।

साहब की फाइल पहुंची CBI
किसी ने साहब की फाइल सीबीआई में पहुंचा दी है। मामला परिवार के ही एक सदस्य के द्वारा एक फर्जी सर्टिफिकेट के इस्तेमाल से जुड़ा है। बात काफी पुरानी है, कई सालों से गोपनीय बनी हुई है। लेकिन कुछ विध्नसंतोषियों ने पूरे मामले की पड़ताल करके कागजात इकट्ठे कर लिए हैं। अब उनके इस्तेमाल के लिए फाइल तैयार की गईहै। फाइल इतनी कसी हुई बनाई गई है कि हर पन्ने के सबूत जांच एजेंसी को सीधे फैसला लेने पर मजबूर कर सकते हैं। साहब चूंकि एक महकमे के सबसे बड़ी पोस्ट पर बैठे हैं। इसलिए तैयार करने वालों ने शिकायती फाइल के परफेक्शन पर पूरा काम किया है। सुना है, छत्तीसगढ़ जैसे छापों की झड़ी जब एमपी में लगेगी तो शुरुआत यहीं से होगी। साहब का सरकार में खास एहतराम है। सबसे प्रभावशाली टीम के एक खास सदस्य माने जाते हैं। पूरे मंत्रालय में उनके नाम की तूती बोलती है।

दो दिग्गजों ने हिला दी सियासत
सियासत जो न करे कम है। कुछ नहीं हो रहा है तो मुसीबत और कुछ हो रहा है तो उससे बड़ी मुसीबत। दरअसल सियासत भी शतरंज की तरह है। मौजूदा वक्त की एक-एक चाल भविष्य में बड़े घटनाक्रम का संकेत देती है। ये दोनों भी दिग्गज है। पूरी पार्टी में इनके इशारे ही काफी होते हैं। बात आगे बढ़ाने से पहले यह बता दें कि मामला बीजेपी से जुड़ा है। अब आगे जानिए, आगे की बात। दोनों इन दिनों साथ-साथ नजर आ रहे हैं। इस ‘एक साथ’ को पार्टी में सामान्य घटनाक्रम समझा जाएगा। लेकिन इसी पार्टी का एक बड़ा तबका सकते में आ गया है कि आखिर ये दोनों क्या खिचड़ी पका रहे हैं। जहां देखो एक साथ मिल जाते हैं। बीजेपी का यह तबका दरअसल यह मानता है कि दोनों को साथ नहीं दिखाई देना चाहिए। इसलिए यह साथ नाखून चबाने या सिर खुजलाने को मजबूर कर रहा है। नेताओं का नर्वस सिस्टम गड़बड़ा रहा है। यदि शतरंज के खेल पर यकीन करें तो यह चाल आने वाले दिनों में कोई न कोई गुल ज़रूर खिलाने वाली है। आगे क्या होगा यह बात तो राजनीति के दोनों चाणक्य के दिमाग में ही है।

किसी रोज़ उनसे मुलाकात होगी
‘आज फिर उनसे मुलाकात होगी… फिर आमने सामने बात होगी…’ प्रदेश के कुछ स्पेशल लोगों की एक खास नेताजी को लेकर यह गीत गुनगुना रहे हैं। लेकिन मुलाकात है कि होती नहीं, वैसे तो यह मुलाकात केवल एक बहाना है, चुनाव से पहले ऐसी मुलाकातों का सिलसिला काफी पुराना है। लेकिन मुलाकात नेताजी से है, इसलिए इसका बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा है। अहम बात यह है कि इस मुलाकात को लेकर ‘तारीख पर तारीख… तारीख पर तारीख…’ जैसे हालात हैं। मुलाकात हो ही नहीं पा रही है। चार बार तारीख फाइनल हुई लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। एक बार तो 4 घंटे पहले इत्तला दी गई कि अगली तारीख की सूचना जल्द दी जाएगी। एक बार फिर से मुलाकात के प्रयास शुरू हुए हैं। उम्मीद है कि किसी रोज़ उनसे मुलाकात ज़रुर होगी।

दुमछल्ला…
लीकेज से भरा हुआ माल खत्म हो जाता है। लेकिन कुछ लीकेज खजाना भरने के ‘अवसर’ भी दे देते हैं। ऐसा ही ‘अवसर’ तलाश लिया है मेट्रो शहरों के स्थानीय अमले ने। उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार जल्द ही मास्टर प्लान घोषित कर सकती है। लिहाज़ा इसे तैयार करने वाले अफसरों ने मास्टर प्लान को लीक करना शुरू कर दिया है। विकसित किए जाने वाले इलाकों के बारे में जानकारी रसूखदारों को लीक की जा रही है। इससे एक अच्छा ‘अवसर’ हासिल हो रहा है। भोपाल में तो यह हालात है कि एक इलाके में ज़मीन की खरीद फरोख्त तेजी से की जाने लगी है। रजिस्ट्री ऑफिस में इनकी आमदरफ्त तेज हो गई है। हर लीकेज के उपयुक्त दाम मिल रहे हैं। हैरत की बात यह है कि ऊपर जिसे खबर मिलती वह भी इस आग में हाथ ताप ले रहा है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus