CMO का कोपभाजन बना CMHO

बीते दिनों एक जिले के CMHO को हटाने के आदेश होने पर पूरा महकमा हिल गया। खबर लगी तो मंत्री और उनके करीबी अफसरों में सनाका खिंच गया। ये पोस्टिंग खुद महकमे के मंत्री ने की थी, इसलिए ऊपर से नीचे तक फोन घनघनाकर जानकारी निकाली गई कि आखिर हटाया किसने? जब मामला खुला तो सभी लोगों का गुस्सा चंद मिनिटों में ठण्डा पड़ गया। दरअसल, सीधे श्यामला हिल्स के आदेश पर CMHO को हटाने के आदेश जारी किए गए। पता लगाने पर जानकारी हासिल हुई कि श्यामला हिल्स के निर्देश पर एक डॉक्टर का ट्रांसफर उस जिले में किया गया था, लेकिन CMHO साहब जॉइनिंग देने में आनाकानी करने लगे। लंबे इंतज़ार के बाद डॉक्टर के सब्र का बांध टूटा तो सीधे श्यामला हिल्स को खबर की गई। 10 फिट नीचे गड़ा देने पर आमादा श्यामला हिल्स के बंगले से तीखे तेवर दिखाए गए तो CMHO की जिले से छुट्टी कर दी गई है। हां ये ज़रूर बताते चलें कि डॉक्टर साहब को नए CMHO ने जॉइनिंग दे दी है।

सरकारी टीचरों की होगी परीक्षा

स्कूली शिक्षा विभाग के टीचरों की परीक्षा लेने की तैयारी में है। बार-बार तारीख आगे बढ़ाने के बाद नवंबर के आखिर में परीक्षा की नयी तारीख जारी की गई है। इस परीक्षा में सिलेक्टेड सरकारी टीचरों को सीएम राइज़ स्कूल में नियुक्ति दी जाएगी। चूंकि इस योजना पर सीधे सीएम साहब की निगरानी है तो विभागीय अफसरों ने इस परीक्षा की योजना बनाई है। मंशा ये है कि स्कूल में बुद्धिमान और सर्वश्रेष्ठ को मौका दिया जा सके। लेकिन अब शिक्षक इस परीक्षा से नाराज़ होकर एकजुट होने लगे हैं। तर्क ये दिया जा रहा है कि संयुक्त संचालक, सहायक संचालक या प्रिंसिपल जैसे ओहदे पर बैठाने के लिए तो विभाग कभी परीक्षा नहीं लेता है। फिर परीक्षा में पास चंद शिक्षकों को बुद्धिमान घोषित करके बाकी शिक्षकों को क्या नकारा घोषित करने का प्लान बनाया जा रहा है? महकमे में इस परीक्षा को लेकर ज़बरदस्त विरोध होने लगा है, अधिकारी से लेकर शिक्षकों में गहरा आक्रोश अब सतह पर आने की तैयारी में है।

खंडवा के कांग्रेसियों का बढ़ेगा वजन

खंडवा में सारे कांग्रेसी गुट एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे थे तो चुनाव हारने की वजह क्या रही? यह वो सवाल है, जो पीसीसी के गलियारों में जमकर घूम रहा है। अरुण यादव हों या उनके विरोधी सभी एक साथ चुनावी मैदान में थे तो उसका असर दिखाई देना चाहिए था। अब हार के बाद यहां संगठन को नए सिरे से कसने की कवायद की जा रही है। इसकी ज़द में समूचा खंडवा संसदीय क्षेत्र आएगा। खंडवा के कांग्रेस संगठन में अब किसी खास गुट का वर्चस्व खत्म करने के लिए सभी गुटों को तवज्जो देने की तैयारी है। कमल नाथ ने इस फार्मूले को हरी झंडी दे दी है। इसके बाद सबसे ज्यादा असर अरुण यादव खेमे पर पड़ने के आसार बढ़ गए हैं। क्योंकि लोकसभा क्षेत्र में उनका दबदबा ज्यादा है। अब ऐसे लोगों को भी अहम पद मिलेंगे जो उनके धुर विरोधी हैं। बस इसी वजह से चर्चाएं जमकर हैं कि कहीं अरुण यादव के पर कतरने की तैयारी तो शुरू नहीं हो गई? टॉप सीक्रेट ये बता दें कि जल्द की एक जिले में कार्यकारी अध्यक्ष की घोषणा जल्द ही होने वाली है। इसी नाम से इशारा हो जाएगा कि निशाने पर कौन है।

महकमे के दो अफसरों में तनातनी

दुधारू गाय समझे जाने वाले प्रदेश के एक विभाग के दो अफसरों में तनातनी से कमाई का इंटरनल फ्लो गड़बड़ा गया है। दोनों अफसरों में से एक कमिश्नर हैं और दूसरे उनके डिप्टी। दोनों के बीच ऐसी तनातनी मची हुई है कि जिलों से आने वाला फ्लो गड़बड़ा गया है। जिलों के अफसरों में कन्फ्यूजन है कि इनके पास भेजें या उनके पास। पिछले कुछ महीनों से गड़बड़ाए इस फ्लो सिस्टम का अब असर भी दिखाई देने लगा है। एक महकमे का मुखिया है, तो दूसरे जूनियर अफसर का रसूख उन्हें बड़ा बनाता है। नीचे का कोई भी अफसर दोनों में से किसी से पंगा नहीं ले सकता है। दोनों का दबाव बराबर है। अब मुसीबत निचले अमले की हो गयी है कि जाएं तो जाएं कहां। बता दें कि ये महकमा प्रदेश का सबसे कमाऊ समझा जाता है। यहां के अफसर दूसरे महकमे से डेपुटेशन पर भेजे जाते हैं।

हर बस की ट्रेकिंग कर रहा था सीएम सचिवालय

जनजातीय गौरव सम्मेलन के लिए भोपाल के जंबूरी मैदान पहुंचने वाले बसों की एक-एक ट्रेकिंग वैसे ही हो रही थी, जैसे वोटरों की होती है। पीएम मोदी की मौजूदगी में होने वाले इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से आने वाले आदिवासियों को इंदौर, रतलाम, रीवा, जबलपुर होकर भोपाल पहुंचना था। इंतज़ाम कुछ इस तरह किया गया था कि रात होने पर बस को रात किसी जिले में रोकना भी पड़ा। यहां भी कलेक्टर को पूरी हिदायत दी गई थी। सीएम हाउस में अफसरों ने मॉनिटरिंग, कंट्रोल के साथ कमांड सेंटर भी बना रखा था। पल-पल की पूरी रिपोर्ट ले रहे थे खुद सीएम शिवराज। इस बात की पूरी निगाह रखी जा रही थी कि आदिवासी गांव से बस रवाना हुई तो लक्ष्य के मुताबिक कितने लोग सवार हुए, अगले गंतव्य तक कितने पहुंचे और भोपाल पहुंचने पर संख्या क्या रही। यह सारी रिपोर्ट बसों के गांव तक पहुंचने तक रखी गई। सीएम शिवराज ने कैबिनेट बैठक में मंत्रियों के साथ ये जानकारी साझा की तो मंत्री भी दंग रह गए। समझने के लिए काफी है कि भोपाल राजधानी में आदिवासियों का सम्मेलन भले ही कठिन टास्क हो। लेकिन पीएम मोदी की मौजूदगी के लिए यह करना ज़रूरी हो तो सब संभव हो जाता है।

दुमछल्ला…

सूबे के एक आईपीएस को एक पुलिस अकादमी में तैनात हैं। लाख चाहने के बाद भी वे इस लूप लाइन से नहीं निकल पा रहे हैं। खूब कसमसा रहे हैं, लेकिन कर कुछ पा नहीं रहे। उन्हें लूप लाइन में पटकने के लिए सरकार के ही एक दिग्गज ने कसम खा रखी है। मां की कसम। आईपीएस कमल नाथ की सरकार में एक जांच एजेंसी के चीफ की कुर्सी पर बैठकर बीजेपी के कुछ नेताओं के खिलाफ फाइल तैयार कर रहे थे। भले ही सबकुछ उस वक्त की सरकार के इशारे पर हो रहा था, लेकिन भुगतना अब इन साहब को पड़ रहा है।

(संदीप भम्मरकर की कलम से)

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