सत्या राजपूत, रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात करने हसदेव अरण्य क्षेत्र के लगभग 200 आदिवासी पहुंचे. आदिवासी 300 किलोमीटर की पदयात्रा करके पहुंचे हैं. आदिवासियों ने हसदेव अरण्य को बचाने के लिए राज्यपाल से गुहार लगाई. साथ ही पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में पेसा कानून के उल्लंघन की शिकायत भी की. जिसके लिए राज्यपाल अनुसुईया उइके ने आदिवासियों की गुहार सुनी और कहा कि  आपकी मांग पर सीएम के साथ चर्चा करूंगी. दिल्ली में कोयला मंत्री और पीएम मोदी से बात करूंगी. इसके लिए जो आवेदन दिया है उसका अध्ययन कराऊंगी. आपके साथ अन्याय नहीं होने दूंगी.

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राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि छग के हमारे ट्रायबल वर्ग विभिन्न समस्या से जूझ रहे है. कल बस्तर के आदिवासी पदयात्रा करके आए थे. पांचवी अनुसूची के अधिकार की जानकारी सबको पता है. ग्राम पंचायत जो भी निर्णय पेसा कानून के रूप में लेगी उसे राज्य और केंद्र सरकार को मानना पड़ेगा. सामाजिक परंपरा, संस्कृति का डेवलपमेंट किया जाना आदिवासियों का अधिकार है. उस क्षेत्र में गैर आदिवासी जमीन नहीं खरीद सकता. उस क्षेत्र का पूरा आधिकार आदिवासियों का ही है, ये आधिकार संविधान में उनको मिला है.

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जो भी ट्रायबल क्षेत्र है वहां पर पांचवी अनुसूची और पेसा कानून को दरकिनार किया जा रहा है. जनजाति आयोग ही अब देश के आदिवासियों के लिए न्यायालय है. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष,और सदस्य बनाया जाता है. देशभ्रमण में पाया की ट्रायबलों के साथ अन्याय हो रहा है.

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा कि इतनी संख्या में आएं है तो कहीं ना कहीं इनकी मांग जायज है. आपकी जमीन में करोड़ो अरबों का खजाना है, लेकिन आदिवासियों को दो-चार लाख मिलता है. पीएम से आदिवासियों की समस्या बताई गई है. रॉयल्टी का हिस्सा जमीन देने वाले को मिलना चाहिए. कंपनी के साथ शेयर होल्डर बनाया जाए. ऐसे में जिंदगी भर आपका परिवार पलता रहेगा. विचार-विमर्श में इस तरह की बात नहीं होती है. ग्राम पंचायत को नगर पालिका बनाना अवैधानिक है. अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों को अंग रक्षक बनाया गया है. अगर समय रहते मामले पर संज्ञान लिया जाता तब ऐसा नहीं होता. इन लोगों के साथ जो हुआ उसे अब मैं नहीं होने दूंगी.