दीपक ताम्रकार, डिंडोरी। जिले के नगर परिषद कार्यालय में रिश्वतखोरी के दो रूप देखने को मिले। एक मामले में पीएम आवास योजना में नाम जोड़ने के बदले रिश्वत मांगने पर व्यक्ति ने कार्यालय में जमकर हंगामा मचाया। इधर बीजेपी नेता ने भुगतान के एवज में उपयंत्री पर घूस मांगने का न सिर्फ आरोप लगाया बल्कि ऑनलाइन पैसा देने का सबूत भी पेश किया है।

डिंडोरी नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 1 सुबखार निवासी रामगोपाल का आरोप है कि सहायक राजस्व निरीक्षक सुरेंद्र तिवारी ने पीएम आवास योजना में नाम जुड़वाने के एवज में 20 हजार की रिश्वत मांगी। रिश्वत नहीं देने पर उसका सूची में नाम नहीं जोड़ा, जबकि वे पात्र और उसके पास समस्त दस्तावेज उपलब्ध है। उनका कहना है कि जब से औरई बायपास में प्रधानमंत्री आवास बनना शुरू हुए है तब से वह आवास पाने कार्यालय का चक्कर काट रहा है। आज भी जब नगर परिषद कार्यालय पहुंचा तो सुरेंद्र तिवारी ने उसका नाम जोड़ने से मना कर दिया। जिसके चलते उसे गुस्सा आ गया। आरोप है कि उसके सामने सुरेंद्र तिवारी ने एक अन्य व्यक्ति से 20 हजार की रिश्वत ली थी और आवास का लाभ जिसे दिया जो मर गया है। उन्होंने इसकी शिकायत नगर परिषद अध्यक्ष से करने की बात कही है।

वहीं इस मामले में सुरेंद्र तिवारी खुद का कहना है कि किसी से कोई रिश्वत नहीं मांगी।आवास योजना का लाभ देने के लिए फील्ड की अलग टीम है जो आवेदन की सत्यता की जांच करती है और हितग्राही लाभ पाने लायक है या नहीं।

इधर स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रचार – प्रसार को लेकर काम करने वाले दशरथ सिंह राठौर ने योजना से जुड़े उपयंत्री पर रिश्वत की मांग का आरोप लगाया है। बता दें कि दशरथ भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला अध्यक्ष है। ऐसे में इनकी सरकार रहते हुये परिषद के उपयंत्री पर लगाये गये आरोप से सरकारी हुक्मरानों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होना लाजिमी है। बहरहाल इस संबंध में नगर परिषद अध्यक्ष ने किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त न होने का हवाला दिया है।

भाजपा नेता दशरथ के मुताबिक उन्होंने नगर परिषद में स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत लगभग ढाई लाख रुपये का कार्य किया था। लेकिन भुगतान में हीलाहवाली बरती जा रही थी।ऐसे में उपयंत्री द्वारा उनसे 35 हजार रुपयों की मांग की गई, किन्तु उन्होंने उपयंत्री के कहने पर कंप्यूटर ऑपरेटर के खाते में पहले 30 हजार डाले जो कि ट्रांसपर नहीं हुये। इसके बाद 25 हजार की रकम डाली जो खाते में चली गई। इसके बाद उपयंत्री के वाट्सऐप पर मैसेज दिया कि रकम कंप्यूटर ऑपरेटर के खाते में ट्रांसफर हो गई है।

दशरथ ने बताया कि लगातार संपर्क किये जाने के बावजूद जब उनका विवाह सर पे आ गया और भुगतान नहीं हुआ तो उन्होंने बेबस हो 25 हजार का अग्रिम भुगतान उपयंत्री के कहने पर बतौर रिश्वत उनके कंप्यूटर ऑपरेटर के मोबाइल पर ऑनलाइन दिया था। जिसके बाद बमुश्किल 2 लाख रुपये उनके खाते में ट्रांसफर किये गये।और अब शेष रकम के लिये 10 हजार और मांगे जा रहे है, जो फिलहाल उनके पास नहीं है। उपयंत्री आलोक दीक्षित ने कहा कि मेरे ऊपर जो रिश्वत के आरोप लगाये जा रहे है वह पूर्णतया निराधार और असत्य हैं।

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus